Question 1:
कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter कैदी और कोकिला
Answers
Answered by
126
कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कैदी और कोकिला’ कविता के माध्यम से कवि ने तत्कालीन ब्रिटिश शासकों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन करने वाले देशभक्तों पर किए जाने वाले अत्याचारों का वर्णन किया है। कवि ने बताया है कि स्वतंत्रता सेनानी जेल में बंद होने पर भी अपना साहस और हिम्मत नहीं खोते थे तथा महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अहिंसा आंदोलन में अपना पूरा योगदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।इस कविता में कवि ने जेल में एकांत और उदास जीवन व्यतीत करते हुए कोयल से अपने हृदय की पीड़ा और असंतोष का भाव व्यक्त किया था। कवि ने इस कविता में कैदियों को कारागार में दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों और दुखों की ओर भी संकेत किया है।
उत्तर :-
कोयल की कूक सुनकर आधी रात के गहरे अंधेरे में कवि जानना चाहता था कि वह क्यों कूक रही है? उसे क्या कष्ट है? वह क्यों इतनी बेचैन है? वह इतनी रात को क्यों जाग रही है ?उसे नींद क्यों नहीं आ रही? वह किसका संदेश देना चाहती है? कवि स्वयं तो कारावास की पीड़ा झेलने के कारण आधी रात तक जागने के लिए मजबूर था पर वह जानना चाहता था कि कोयल की ऐसी कौन सी मजबूरी है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
उत्तर :-
कोयल की कूक सुनकर आधी रात के गहरे अंधेरे में कवि जानना चाहता था कि वह क्यों कूक रही है? उसे क्या कष्ट है? वह क्यों इतनी बेचैन है? वह इतनी रात को क्यों जाग रही है ?उसे नींद क्यों नहीं आ रही? वह किसका संदेश देना चाहती है? कवि स्वयं तो कारावास की पीड़ा झेलने के कारण आधी रात तक जागने के लिए मजबूर था पर वह जानना चाहता था कि कोयल की ऐसी कौन सी मजबूरी है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
Answered by
44
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म सन 1889 ईसवी में मध्य प्रदेश के बावई नामक गांव में हुआ था इनके पिता का नाम पंडित नंदलाल चतुर्वेदी था वह एक अध्यापक के प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने घर पर ही संस्कृत ,बांग्ला, गुजराती ,और अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया कुछ समय तक इन्होंने अध्यापन कार्य भी किया इसके पश्चात उन्होंने खंडवा से कर्मवीर नामक साप्ताहिक पत्र निकालना शुरू किया 1913 ईस्वी में इन्होंने प्रसिद्ध मासिक पत्रिका प्रभा का संपादक नियुक्त किया गया चतुर्वेदी जी एक भारतीय आत्मा नाम से लेख और कविताएं लिखते रहें उनकी कविताएं देशप्रेमी युवकों को प्रेरित करती थी श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने इन्हें राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया फल स्वरुप उन्होंने कई बार जेल भी जाना पड़ा जेल से बाहर निकलने पर उन्हें साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष बनाया गया उनके सम्मान में हरिद्वार में महंत शान्तानंद ने चांदी के रूपये से इनका तुला दान किया इनकी हिंदी सेवाओं के लिए सागर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी लिट की उपाधि तथा भारत सरकार ने पदम विभूषण की उपाधि से विभूषित किया इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश सरकार ने भी उन्हें पुरस्कृत किया 69 वर्ष की आयु में 30 जनवरी 1968 में क्रांतिकारी पंचतत्व में विलीन हो गया
कोयल की कूक सुनकर कवि को लगा कि जैसे वह किसी का संदेश लाई है इसलिए कभी उसे कहता है कि तुम चुप क्यों हो जाती हो( रह -रह जाती) कोयल स्पष्ट बोलो
कोयल की कूक सुनकर कवि को लगा कि जैसे वह किसी का संदेश लाई है इसलिए कभी उसे कहता है कि तुम चुप क्यों हो जाती हो( रह -रह जाती) कोयल स्पष्ट बोलो
Similar questions