Question 1:
"मेखलाकार पर्वत अपार अपने सहस्त्र दृग सुमन फाड़, अवलोक रहा था बार-बार नीचे जल में निज महाकार।" इसमें कौन-सा अलंकार है
0 उपमा
रूपक
० उत्प्रेक्षा
यमक
Answers
सही जवाब है, विकल्प...
O रूपक अलंकार
स्पष्टीकरण:
"मेखलाकार पर्वत अपार अपने सहस्त्र दृग सुमन फाड़, अवलोक रहा था बार-बार नीचे जल में निज महाकार।"
इन पंक्तियों में रूपक अलंकार है। ‘रूपक अलंकार’ की परिभाषा के अनुसार जब गुणों की समानता के कारण ‘उपमेय’ को ही ’उपमान’ बना दिया जाये अर्थात उनमें भिन्नता न हो तो वहाँ पर ‘रूपक अलंकार’ होगा। यहाँ पर सुमन यानि फूलों को दृग यानि आँखों की तरह प्रस्तुत किया गया है, और आँखों और फूलों के बीच के भेद को मिटा दिया गया है, इसलिये यहाँ पर रूपक अलंकार होगा।
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दुख हैं जीवन तरु के फूल में कौन सा अलंकार है?
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बाहिर लसति मानो पिए दावानल की ज्वाल।।
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Answer:
"मेखलाकार पर्वत अपार अपने सहस्त्र दृग सुमन फाड़, अवलोक रहा था बार-बार नीचे जल में निज महाकार।" इसमें रूपक अलंकार है |
उपमेय पर उपमान का आरोप या उपमान और उपमेय का अभेद ही रूपक है |
इसके लिए तीन बातों का होना आवश्यक हैं |-
(क) उपमेय को उपमान का रूप देना ;
ख़) वाचक पद का लोप ;
ग) उपमेय का भी साथ -साथ वर्णन |
यहाँ दृग सुमन में दृग उपमेय है और सुमन जो उपमान है का आरोप हुआ है और वाचक पद नहीं आया है |