"Question 1 निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए− शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
Class 10 - Hindi - पतझर में टूटी पत्तियाँ Page 122"
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लेखक के अनुसार शुद्ध आदर्श सोने के समान खरे होते हैं। सोने की तरह ही उनमें पूर्ण शुद्धता होती है। अतः वे सोने के समान मूल्यवान है। दूसरी ओर व्यवहारिकता तांबे के समान है। जो शुद्ध आदर्श रूपी सोने में मिल कर उसे चमक प्रदान करती है। व्यवहारिकता तांबे के समान उपरी तौर पर चमकदार होती है।
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आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा
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शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से इसलिए की क्योंकि ये सोने की तरह शुद्ध होते हैं इसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं होती। ताँबा मिलाने से सोना मजबूत तो हो जाता है परन्तु शुद्धता समाप्त हो जाती है।इसी प्रकार व्यवहारिकता को तांबा इसलिए कहा क्योंकि आदर्शों में भी व्यावहारिकता का तांबा मिलाकर उन्हें मज़बूत व् जन प्रचलित बनाया जाता है |
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