Question 10:
गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि -
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी।
(सही उत्तर के आगे (✓) का निशान लगाइए।)
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter दो बैलों की कथा
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प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी ‘दो बैलों की कथा’ में मनुष्य के पशु प्रेम तथा पुरुषों का अपने स्वामी के प्रति लगाव का सजीव चित्रण किया गया है। पशु अपने मालिक के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। हीरा - मोती की झूरी से प्रेम यही सिद्ध करता है। लेखक ने मूक पशुओं की एक दूसरे के प्रति सद्भावनाओं तथा स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष का भी स्वाभाविक वर्णन किया है।
उत्तर :-
विकल्प (ग) सही है।
गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि वह हीरा मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
उत्तर :-
विकल्प (ग) सही है।
गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि वह हीरा मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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दों बैलो की कथा एक शिक्षाप्रद कहानी है । इसमें मुख्य नायक हीरा और मोती नाम के दों बैल है । इस कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद है । ये दोनों बैल सीधे सादे लोगों का प्रतिक है ।
दोनों को बहुत सारी आपदाओं का सामना करना पड़ता है ।
पर फिर भी दोनों एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। दोनों अपनी आजादी के लिए संघर्ष करते है । कई सारे नैतिक मूल्यों का भी ध्यान रखते है । और अंत में दोनों अपने घर लौट आते है । इससे हमे शिक्षा मिलती है की कभी भी हार नहीं माननी चाहिए । हमेशा संघर्ष करो ।
दोनों को बहुत सारी आपदाओं का सामना करना पड़ता है ।
पर फिर भी दोनों एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। दोनों अपनी आजादी के लिए संघर्ष करते है । कई सारे नैतिक मूल्यों का भी ध्यान रखते है । और अंत में दोनों अपने घर लौट आते है । इससे हमे शिक्षा मिलती है की कभी भी हार नहीं माननी चाहिए । हमेशा संघर्ष करो ।
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