Question 2 हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में कटुक-निजोरी में कटुक शब्द व्याकरण की दृष्टि से क्या है??
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हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में कटुक-निबोरी में कटुक शब्द व्याकरण की दृष्टि से क्या है??
कटुक शब्द व्याकरण की दृष्टि से विशेषण है।
कटुक निबोरी यानि कड़वा नीम का पत्ता
कविता में कटुक-निजोरी में कटुक-निबोरी शब्द का अर्थ है , कि पक्षी कह रहे है कि हमें सोने की कटोरी में दी गई मैदा से अच्छा हमें नीम के (कटुक-निबोरी) कड़वे पत्ते अच्छे लगते है | हम भूखे रहने में खुश है पर हम पिंजरे में गुलाम बनकर नहीं रहना चाहते |
यह प्रश्न हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता से लिया गया है| यह कविता श्री शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा लिया गया है|
इन पंक्तियों में पक्षी कहते है , हम आकाश में आज़ादी से घूमने वाले पक्षी है| हम अपना गाना पिंजरे में बंद रह कर नहीं गा पाएंगे | पिंजरे में रह कर हमारे पंख तड़प-तड़प कर टूट जाएंगे|
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