Question 2:
कोष्ठकेषु प्रदत्तशब्देषु उपयुक्ताविभक्तिं योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
यथा- अहं रोटिकां खादामि। (रोटिका)
(क) त्वं ......................... पिबसि। (जल)
(ख) छात्रः ......................... पश्यति। (दूरदर्शन)
(ग) वृक्षाः ..................... पिबन्ति। (पवन)
(घ) ताः ............................. लिखन्ति। (कथा)
(ङ) आवाम् ............................. गच्छावः। (जन्तुशाला)
Class 6 NCERT Sanskrit Chapter वृक्षाः
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*सर्वनाम वे शब्द होते हैं जो संज्ञा के स्थान पर अथवा संज्ञा के साथ प्रयोग में लाए जाते हैं। जैसे - सा, तत्, सः, ते, एतत्, इत्यादि।
•संस्कृत में सर्वनाम शब्द का पूर्व निर्धारित लिंग नहीं होता है। सर्वनाम शब्द जिस शब्द के साथ प्रयुक्त होता है वह उसी लिंग का बन जाता है। सर्वनाम शब्दों के रूप तीनो लिंगो में चलते हैं।
*हम हिंदी भाषा में ने, को, के लिए का, में , पर आदि परसर्ग का प्रयोग करते हैं। यह परसर्ग शब्द से अलग रहते हैं किंतु संस्कृत भाषा में उसी अर्थ को दर्शाने के लिए विभिन्न शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
•संस्कृत भाषा में कोई भी शब्द अपने मूल रूप में वाक्य में प्रयुक्त नहीं होता है। वाक्य प्रयोग के समय उसमें रूपांतर आता है उसी को शब्द रूप कहते हैं। जैसे - छात्रः - एक छात्र, छात्रम् - छात्र को , छात्रेण - छात्र द्वारा, छात्राय - छात्र के लिए, छात्रात् - छात्र से इत्यादि।
(क) त्वं ......................... पिबसि। (जल)
उत्तराणि : - त्वं जलं पिबसि।
(ख) छात्रः ......................... पश्यति। (दूरदर्शन)
उत्तराणि : - छात्रः दूरदर्शनं पश्यति।
(ग) वृक्षाः ..................... पिबन्ति। (पवन)
उत्तराणि : - वृक्षाः पवनं पिबन्ति।
(घ) ताः ............................. लिखन्ति। (कथा)
उत्तराणि : - ताः कथां लिखन्ति।
(ङ) आवाम् ..................... गच्छावः। (जन्तुशाला)
उत्तराणि : - आवाम् जन्तुशालां गच्छावः।
HOPE THIS WILL HELP YOU...
•संस्कृत में सर्वनाम शब्द का पूर्व निर्धारित लिंग नहीं होता है। सर्वनाम शब्द जिस शब्द के साथ प्रयुक्त होता है वह उसी लिंग का बन जाता है। सर्वनाम शब्दों के रूप तीनो लिंगो में चलते हैं।
*हम हिंदी भाषा में ने, को, के लिए का, में , पर आदि परसर्ग का प्रयोग करते हैं। यह परसर्ग शब्द से अलग रहते हैं किंतु संस्कृत भाषा में उसी अर्थ को दर्शाने के लिए विभिन्न शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
•संस्कृत भाषा में कोई भी शब्द अपने मूल रूप में वाक्य में प्रयुक्त नहीं होता है। वाक्य प्रयोग के समय उसमें रूपांतर आता है उसी को शब्द रूप कहते हैं। जैसे - छात्रः - एक छात्र, छात्रम् - छात्र को , छात्रेण - छात्र द्वारा, छात्राय - छात्र के लिए, छात्रात् - छात्र से इत्यादि।
(क) त्वं ......................... पिबसि। (जल)
उत्तराणि : - त्वं जलं पिबसि।
(ख) छात्रः ......................... पश्यति। (दूरदर्शन)
उत्तराणि : - छात्रः दूरदर्शनं पश्यति।
(ग) वृक्षाः ..................... पिबन्ति। (पवन)
उत्तराणि : - वृक्षाः पवनं पिबन्ति।
(घ) ताः ............................. लिखन्ति। (कथा)
उत्तराणि : - ताः कथां लिखन्ति।
(ङ) आवाम् ..................... गच्छावः। (जन्तुशाला)
उत्तराणि : - आवाम् जन्तुशालां गच्छावः।
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(क) त्वं जलं पिबसि। (जल)
(ख) छात्रः दूरदर्शनं पश्यति। (दूरदर्शन)
(ग) वृक्षाः पवनं पिबन्ति। (पवन)
(घ) ताः कथां लिखन्ति। (कथा)
(ङ) आवाम् जन्तुशालां गच्छावः। (जन्तुशाला)
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(क) त्वं जलं पिबसि। (जल)
(ख) छात्रः दूरदर्शनं पश्यति। (दूरदर्शन)
(ग) वृक्षाः पवनं पिबन्ति। (पवन)
(घ) ताः कथां लिखन्ति। (कथा)
(ङ) आवाम् जन्तुशालां गच्छावः। (जन्तुशाला)
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