Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

Question 2:
कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter सवैये

Answers

Answered by nikitasingh79
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रसखान कृष्ण भक्ति काव्य के सुप्रसिद्ध कवि है। ‘सवैये’ में कृष्ण भक्त रसखान श्री कृष्ण भूमि के प्रति समर्पण का भाव व्यक्त करते हुए कहते हैं कि यदि मैं मनुष्य रूप में जन्म लूं तो मैं ब्रजक्षेत्र के गोकुल गांव में ग्वालों के बीच जन्म लूं। कवि ने श्री कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को प्रकट किया है ।वे हर अवस्था में अपने ब्रजक्षेत्र और अपने इष्ट को प्राप्त करना चाहते हैं।

उत्तर :-
कवि ब्रज के वन,बाग और तालाबों को निहारना चाहता है ताकि वे श्री कृष्ण की प्रिय भूमि और लीलास्थली के प्रति अपने हृदय की अनन्यता को प्रकट कर सके। उसे ब्रज के कण-कण श्री कृष्ण समाए हुए प्रतीत होते हैं। वह ब्रज क्षेत्र के लिए जीवन के सभी सुखों को त्याग देना चाहते हैं उनके लिए परम सुख की प्राप्ति ब्रज क्षेत्र से जुड़ा रहना है।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
Answered by Anonymous
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साहित्य और ब्रजभाषा प्रेमी कृष्ण भक्त मुसलमान का कवियों में रसखान आग्रगण्य है विद्वानों द्वारा इनका मूल नाम सैयद इब्राहिम माना जाता है इनका जन्म 1533 ईसवी में दिल्ली में हुआ माना जाता है इनका जीवन वृत्त अभी भी अंधकार में है अर्थात विद्वानों के बीच इन के जन्म के संबंध में अभी भी मतभेद है इनके द्वारा रचित ग्रंथ प्रेमवाटिका से प्राप्त संकेत के आधार पर इनका संबंध दिल्ली राजवंश से माना जाता है रसखान रात दिन श्री कृष्ण भक्ति में लीन रहते थे इन्होंने गोवर्धन धाम अर्थात गोकुल में जाकर अपना जीवन श्री कृष्ण के भजन कीर्तन में लगा दिया ऐसा कहा जाता है कि कि इस बात से प्रभावित होकर गोस्वामी विट्ठलनाथ दास जी ने इन्हें अपना शिष्य बना लिया इन्हें गोस्वामी विट्ठलनाथ जी वल्लभ संप्रदाय के अंतर्गत पुष्टिमार्गीय वैष्णव धर्म में दीक्षा लेने पर इनका लौकीक प्रेम अलौकिक प्रेम में बदल गया और ये कृष्ण के भक्त बन गए ऐसी मान्यता है कि प्रेमवाटिका उनकी अंतिम रचना है संभवता 1618 इनकी मृत्यु हो गई

श्री कृष्ण की लीला भूमि ब्रज के प्रति अपना लगा प्रकट करते हुए कबिर आस्थान कहते हैं कि हे भगवान मृत्यु के पश्चात यदि मैं अगला जन्म मनुष्य के रूप में लो तो मेरी इच्छा कि मैं ब्रजभूमि में ग्वालों के बीच में निवास करू यदि मैं पशु योनि में जन्म लूं जिसमें मेरा कोई वस्तु नहीं है फिर भी मैं नंदबाबा की गायों के बीच चढ़ना चाहता हूं यदि मैं पत्थर बनो तो उसी गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहता हूं जिसे अपने इंद्र का घमंड चूर करने के लिए और जलमग्न होने से गोकुल ग्राम की रक्षा करने के लिए अपनी उंगली पर छाते के सवाल उठा लिया था यदि मैं पंछी बनूं तो उसी कदम की बृज की शाखाओं पर मेरा बसेरा वह जो यमुना के किनारे है जिसके नीचे श्री कृष्ण रास रचाया करते थे इन पंक्तियों से यह स्पष्ट होता है कि ब्रज के और तालाब को निहारने के पीछे उनका मतलब था कि इतनी सुंदर नगरी में दोबारा वह जन्म लेना चाहेंगे

आशा करते हैं या उत्तर आपकी मदद करेगा
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