Question 2:
कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter यमराज की दिशा
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चंद्रकांत देवताले की कविता ‘यमराज की दिशा’ में कवि ने सभ्यता के विकास के खतरनाक दिशा की ओर संकेत करते हुए चेतावनी भरे स्वर में कहा है कि इस रूप में मानव कहीं भी सुरक्षित नहीं है। इसका जीवन चारों ओर से संकट में घिरा हुआ है। इस कविता में कवि ने अपनी मां और ईश्वर की मुलाकात के बारे में बताया कि जब मां और ईश्वर ईश्वर की भेंट हुई तो ईश्वर ने मां को बताया कि मानव को दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा में यमराज का घर होता है। इसलिए कवि की मां कवि को सलाह देती है कि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके कभी मत सोना।
उत्तर :-
दक्षिण को लांघ लेना संभव नहीं था क्योंकि कवि उस छोर को नहीं पा सकता था। अर्थात यमराज रुपी शोषण व्यवस्था का कोई अंत नहीं है। कवि की मां के अनुसार मृत्यु की दिशा दक्षिण थी परंतु आज सभी दिशाएं यमराज का घर बन चुकी है ।संसार के हर कोने में हिंसा, विध्वंस तथा नशा और मौत का राज्य है, इसलिए आज सभी दिशाएं दक्षिण दिशा बन चुकी है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
उत्तर :-
दक्षिण को लांघ लेना संभव नहीं था क्योंकि कवि उस छोर को नहीं पा सकता था। अर्थात यमराज रुपी शोषण व्यवस्था का कोई अंत नहीं है। कवि की मां के अनुसार मृत्यु की दिशा दक्षिण थी परंतु आज सभी दिशाएं यमराज का घर बन चुकी है ।संसार के हर कोने में हिंसा, विध्वंस तथा नशा और मौत का राज्य है, इसलिए आज सभी दिशाएं दक्षिण दिशा बन चुकी है।
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इस पंक्ति का आशय है कि दक्षिण दिशा का कोई छोर या किनारा नही है इसलिए उसे लाँघ पाना संभव नही है।इस पंक्ति का प्रतीकार्थ भी है कि दक्षिण दिशा(शोषण करने वालो की दिशा ) का कही कोई छोर नही है, दोषण करने वाले हर जगह विद्यमान है इसलिए उन्हें लाँघ पाना संभव नही है।
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