"Question 2 सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-'स्वाधीनता' या 'प्रलोभनोंवाली पराधीनता'? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें- (क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता। (ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता। (ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।
Class 7 - Hindi - चिड़िया की बच्ची Page 74"
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यदि सारी सुविधाएं देकर हमें एक कमरे में बंदकर दिया जाए उसे हम स्वीकार नहीं करेंगे। सारी सुविधाओं के आगे हमें हमारे स्वाधीनता अधिक पसंद है। स्वाधीन व्यक्ति अपने अस्तित्व का विकास कर सकता है। पराधीन व्यक्ति को यदि सारे सुख दिया जाए उसे उसके अस्तित्व के विकास में सहायक सभी स्थितियां उपलब्ध करवाई जाए फिर भी वह सुखी नहीं हो सकता।
क) जिस व्यक्ति के मन में दूसरों को पराधीन बनाकर रखने की इच्छा होती है वह स्वयं दुखी होता है और दूसरों को दुखी करता है। यदि उसके दुखी मन को कोई छोटी सी वस्तु खुशी दे तो वह उसे अपने तक सीमित रखना चाहता है। उसे ऐसा लगता है कि वह उस वस्तु को अपना पराधीन बनाकर सब सुख देकर अपने मनोरंजन के लिए रख सकता है। परंतु उसे यह नहीं पता होता कि पराधीन बनकर वस्तु अपनी स्वाभाविकता खोल देती है।
ख) जब कोई व्यक्ति किसी का पराधीन बन जाता है उसके सभी सपने समाप्त हो जाते हैं। उसे अपनी आजादी में ही सुख अनुभव हो सकता है। परंतु उसे पता है कि उसे पराधीन बनाने वाला व्यक्ति उसे कभी मुक्त नहीं करेगा। इसलिए वह पराधीनता में जीना सीख जाता है। इसलिए वह मुक्त होने का सपना देखना भी नहीं चाहता।
ग) पराधीन बनाने वाला व्यक्ति पराधीन व्यक्ति को अपने मनोरंजन के लिए पराधीन बनाकर रखता है। वह उसकी इच्छा अनुसार उठता, बैठता ,जागता, सोता और खाता-पीता है। पराधीन बढ़ाने वाला व्यक्ति उसे इतना भी समय नहीं देता जिससे वह सुख के सपने देख सके या अपनी मुक्ति के विषय में सोच सके।
क) जिस व्यक्ति के मन में दूसरों को पराधीन बनाकर रखने की इच्छा होती है वह स्वयं दुखी होता है और दूसरों को दुखी करता है। यदि उसके दुखी मन को कोई छोटी सी वस्तु खुशी दे तो वह उसे अपने तक सीमित रखना चाहता है। उसे ऐसा लगता है कि वह उस वस्तु को अपना पराधीन बनाकर सब सुख देकर अपने मनोरंजन के लिए रख सकता है। परंतु उसे यह नहीं पता होता कि पराधीन बनकर वस्तु अपनी स्वाभाविकता खोल देती है।
ख) जब कोई व्यक्ति किसी का पराधीन बन जाता है उसके सभी सपने समाप्त हो जाते हैं। उसे अपनी आजादी में ही सुख अनुभव हो सकता है। परंतु उसे पता है कि उसे पराधीन बनाने वाला व्यक्ति उसे कभी मुक्त नहीं करेगा। इसलिए वह पराधीनता में जीना सीख जाता है। इसलिए वह मुक्त होने का सपना देखना भी नहीं चाहता।
ग) पराधीन बनाने वाला व्यक्ति पराधीन व्यक्ति को अपने मनोरंजन के लिए पराधीन बनाकर रखता है। वह उसकी इच्छा अनुसार उठता, बैठता ,जागता, सोता और खाता-पीता है। पराधीन बढ़ाने वाला व्यक्ति उसे इतना भी समय नहीं देता जिससे वह सुख के सपने देख सके या अपनी मुक्ति के विषय में सोच सके।
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"Question 2 सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-'
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