Question 2:
सरसों को 'सयानी' कहकर कवि क्या कहना चाहता होगा?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter चंद्र गहना से लौटती बेर"
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‘चंद्र ग्रहण से लौटती बेर ‘ कविता के रचयिता कवि केदारनाथ अग्रवाल जी है। इस कविता में कवि का प्रकृति के प्रति गहन प्रेम का पता चलता है। वह चंद्र गहना नामक स्थान से लौटते हैं, तो वहां का प्राकृतिक परिवेश उन्हें बहुत आकर्षित कर लेता है। उसी प्रकृति एवं संस्कृति की एकता उन्होंने इस कविता में व्यक्त की है।
उत्तर:-
कवि ने सरसों को सयानी इसलिए कहा है क्योंकि वह पढ़ कर पूरी तरह तैयार हो चुकी है उसका पूर्ण विकास हो चुका है। उसके पीले पीले फूलों से सारे खेत दूर-दूर तक पीले रंग में रंगे हुए दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने उसके हाथ पीले कर देने का निश्चय कर लिया है और वह विवाह मंडप में सज सवंरकर स्वयं उतर आई हो।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
उत्तर:-
कवि ने सरसों को सयानी इसलिए कहा है क्योंकि वह पढ़ कर पूरी तरह तैयार हो चुकी है उसका पूर्ण विकास हो चुका है। उसके पीले पीले फूलों से सारे खेत दूर-दूर तक पीले रंग में रंगे हुए दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने उसके हाथ पीले कर देने का निश्चय कर लिया है और वह विवाह मंडप में सज सवंरकर स्वयं उतर आई हो।
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सरसों का पेड़ बड़ा हो गया तथा उस में फूल और फलियां लगने लगे हैं कवी इस परंपरा की ओर भी संकेत करता है कि लड़कियों के सयाने हो जाने पर उनका विवाह कार्य संपन्न होता है तथा वह आगे चलकर सरसों की भी हाथ पीले करने की बात करता है
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