Question 2:
श्लोकांशान् योजयत-
क ख
गृहं जीर्णं न वर्षासु तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः।
हलेन च कुदालेन या शुष्का कण्टकावृता।
पादयोर्न पदत्राणे सस्यपूर्णानि सर्वदा।
तयोः श्रमेण क्षेत्राणि शरीरे वसनानि नो।
धरित्री सरसा जाता वृष्टिं वारयितुं क्षमम्।
Class 6 NCERT Sanskrit Chapter कृषिकाः कर्मवीराः
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इस पाठ में बताया गया है कि किसान लोग ही सच्चे कर्मवीर है। सर्दी हो या गर्मी किसान कठोर परिश्रम करते हैं। गर्मी की ऋतु में शरीर पसीने से लथपथ हो जाता है और सर्दी में शरीर ठिठुरता है परंतु किसान लोग कभी हल से तो कभी कुदाल से खेत को जोतते रहते हैं।
किसान लोगों का जीवन बहुत कष्टमय होता है। वे स्वयं कष्ट उठाकर मानव की सेवा करते हैं। उनके पास ना घर है ना वस्त्र है और ना भोजन है। फिर भी वे मनुष्य को सुख देने के लिए तत्पर रहते हैं। अतः किसान ही सच्चे अर्थों में कर्मवीर है।
उत्तराणि : -
क ख
१. गृहं जीर्णं न वर्षासु → वृष्टिं वारयितुं क्षमम्।
२ हलेन च कुदालेन → तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः।
३. पादयोर्न पदत्राणे → शरीरे वसनानि नो।
४.तयोः श्रमेण क्षेत्राणि → सस्यपूर्णानि सर्वदा।
५. धरित्री सरसा जाता → या शुष्का कण्टकावृता।
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क ख
१. गृहं जीर्णं न वर्षासु → वृष्टिं वारयितुं क्षमम्।
२ हलेन च कुदालेन → तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः।
३. पादयोर्न पदत्राणे → शरीरे वसनानि नो।
४.तयोः श्रमेण क्षेत्राणि → सस्यपूर्णानि सर्वदा।
५. धरित्री सरसा जाता → या शुष्का कण्टकावृता।
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3
Answer:
श्लोकाशान्मेलयत & 4vad
गहृं जीर्मा ्न िषाासु तौ तु
क्षेत्राणर् कषता
:
हलेन ि क
ुदालेन शरीरे िसनातन नो
पदयोना पदत्रार्े या श
ु
ष्का कंटकाितृ
ा
धररत्री सरसा जाता िष्
ृ
ष्टम ्िारतयतु
म ्
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