"Question 3 आसपास की निर्जीव चीज़ों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे- • चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद • कलम का कॉपी से संवाद • खिड़की का दरवाज़े से संवाद
Class 7 - Hindi - पापा खो गए Page 62"
Answers
चॉक----- मेरा रंग इतना गोरा चिट्टा है मुझे तुम्हारे ऊपर चलना अच्छा नहीं लगता क्योंकि तुम बहुत काले हो।
ब्लैकबोर्ड ---- मैं काला अवश्य हूं परंतु मेरे बिना तुम्हारी कोई कद्र नहीं है।
चॉक-- यह ठीक है तुम्हारे बिना मेरी कद्र नहीं है। कई बार अध्यापक मेरा प्रयोग बच्चों पर फेंकने के लिए करते हैं। मुझे अपने हाथों में कसकर पकड़ते हैं जिससे मेरा दम घुटने लगता है । तुम आजाद हो। तुम्हारा उपयोग कोई बेदर्दी से नहीं करता।
ब्लैक बोर्ड--- नहीं ऐसा भी नहीं है । तुम्हारे बिना मैं भी बेकार हूं। यदि तुम नहीं होगी तो अध्यापक बच्चों को कैसे समझाएंगे?
चॉक---- पर तुम्हें मेरी तरह घिसे जाने का दर्द तो नहीं है।
ब्लैक बोर्ड--- मेरी छाती पर शब्द लिखने से जो दर्द होता है वह तुम नहीं समझ सकते।
चॉक---- हां भाई! पर हम दोनों इस बात पर खुश हो सकते हैं कि हम लोगों को शिक्षित करने का महान कार्य करते हैं।
कलम का कॉपी से संवाद:
कलम--- मैं इतनी छोटी हूं तू इतनी बड़ी हो फिर भी मैं तुम्हें रंग देती हूं।
कॉपी--- तुम्हारे जागने से ही मेरी शोभा बढ़ती है । मैं लोगों के लिए अधिक उपयोगी हो जाती हूं । मैं तुम्हारी आभारी हूं।
कलम--- बहन तुम मुझे बहुत मान दे रही हो । सच पूछो तो हम दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
कॉपी-- बस मुझे तुमसे एक ही शिकायत है।
कलम--- वह क्या है? मुझे बताओ बहन मैं उसे दूर करने की पूरी कोशिश करुंगी।।
कॉपी---- कभी-कभी तुम बहुत गंदा लेख लिखती हो जिससे मेरा आकर्षण खत्म हो जाता है।
कलम--- अच्छा बहन में आगे से ध्यान रखूंगी और नियमित सुलेख द्वारा अपना लेख सुधारने का प्रयास करूंगी।
खिड़की का दरवाजे से संवाद:
खिड़की: (दरवाज़े का मज़ाक बनाते हुए) दरवाजे भाई तुम इतने बड़े हो फिर भी लोग तुम्हें ठोकर मारते हैं। मैं छोटी सी हूं फिर भी लोग मेरा उपयोग बड़े प्यार से करते हैं। मेरे झरोखे में से चांद को देखते हैं। छत की सुंदरता को देखते हैं ठंडी ठंडी हवा का आनंद लेते हैं। बारिश के दिन में बौछारों का मजा भी यहीं से लेते हैं। एक तुम हो जो सबकी ठोकरों में पड़े रहते हो।
दरवाज़ा: खिड़की बहन इतना घमंड करना अच्छी बात नहीं है। मैं लोगों की ठोकर में अवश्य हूं परंतु तुम तक पहुंचने का मार्ग मेरे में से होकर ही जाता है।
खिड़की: अच्छा फिर यह बताओ जब तुम्हारे खुले बिना लोग अंदर नहीं जा सकते तो वे तुम्हें धक्का क्यों देते हैं?
दरवाजा-- क्योंकि मेरे खुलने का यही तरीका है। पर कई बार मुझे बहुत तेज़ी से धकेलने पर मुझे दर्द भी होता है।
खिड़की: हां होता होगा पर लोगों को इसका अंदाजा नहीं है वे तो हमें निर्जीव भी समझते हैं।
दरवाजा: सही कहती हो तुम। यही मेरी नियति है।
11. आसपास की निर्जीव चीजों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे –
• चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
• कलम का कॉपी से संवाद
• खिड़की का दरवाजे से संवाद
उत्तर:- • चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद –
चॉक – अरे ब्लैक बोर्ड, मैं तो लिखते-लिखते घिस जाता हूँ।
ब्लैक बोर्ड – हाँ, वैसे तो तुम सही कह रहे हो। परन्तु लिखते-लिखते मेरी चमक भी तो फीकी पड़ जाती है।
चॉक – लेकिन, कुछ भी कहो ब्लैक बोर्ड जब हम दोनों के उपयोग से बच्चे जब कुछ नया सीखते हैं, तो बड़ा आनंद होता है।
ब्लैक बोर्ड – हाँ, यह तो तुमने सौ प्रतिशत सच कहा।
• कलम का कॉपी से संवाद –
कलम – कॉपी, ‘देखा मेरा नया रंग-रूप।’
कॉपी – हाँ, भाई हाँ,
कलम – वैसे, तुम भी सुंदर नज़र आ रहे हो।
कॉपी – हाँ, ये नई छपाई का कमाल है।
• खिड़की का दरवाजे से संवाद –
खिड़की – दरवाजे भैया, क्या बात है आज तो आपको बात करने की फुर्सत नहीं है।
दरवाजा – क्या बताऊँ, सुबह से ये रंग-रोगन वालों ने परेशान कर रखा है।
खिड़की – अरे भाई, ऐसा क्यों बोल रहे हो? इससे आप चमक उठोगे।
दरवाजा – हाँ, यह तो तुमने ठीक ही कहा
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