Question 3.
'क्रेतुम्' इति शब्दस्य विलोमपदं किम्?
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Answer:
विद्यालय की वार्षिक परीक्षा में पर्वतारोही छात्रों के चित्र दिखाए गए, जिन्हें देखकर सभी छात्र आश्चर्यचकित होकर शिक्षकों के पास आकर उनसे उस यात्रा का वृत्तान्त जानने हेतु अनुरोध करने लगे। शिक्षकों ने उनके आग्रह को स्वीकार करके लेह-लद्दाख यात्रा का रोमांचकारी वर्णन प्रस्तुत किया। उस अनुभव को सुनकर सबको यह लगने लगा कि दृढ़ संकल्प करनेवाले व्यक्तियों के लिए कुछ भी असाध्य नहीं है। लेह-लद्दाख का प्रदेश एक हिमानी के रूप में है अर्थात् वह एक बर्फ का ढेर है और बहुत ही सुन्दर है। इसीलिए इस पाठ को नाम दिया गया है-‘अहो, राजते कीदृशीयं हिमानी’ अर्थात् यह बर्फ की घाटी कैसी सुन्दर लगती है।
‘लद्दाख’ यह शब्द ‘ला डैग्स’ इन दो शब्दों के मेल से बना है, जिसका अर्थ है-उच्चतम पर्वतीय घाटी (अर्थात् दर्रा)। जम्मू तथा कश्मीर प्रदेश में पूर्व के भाग में समुद्रतट से 11000 फुट की ऊँचाई पर यह भाग है। मनाली-लेहमार्ग विश्व का दूसरा सबसे ऊँचा मार्ग है। यह 480 किलोमीटर विस्तृत हे तथा साल में आठ महीने तक बर्फ से ढका रहता है। ऑक्सीजन की मात्रा भी लेहमार्ग में कम हो जाती है। लेह तथा रूपश क्षेत्र प्रसिद्ध हैं। 17वीं शताब्दी में नांग्याल साम्राज्य की राजधानी लेह में थी। लेह स्थित शान्तिस्तूप की स्थापना 1985 ईसवीय वर्ष में महाभाग दलाईलामा महोदय ने किया था। यहाँ पर ही ‘स्वास्तिक’ नाम का सबसे प्राचीन बौद्धमठ स्थित है। नरांपा गुफा का मुख काँच की दीवार से बन्द रहता है। यहीं काश्मीरी योगी निरोपा ध्यान लगाया करते थे। रूपश क्षेत्र 14432 फुट ऊँचा है। यहाँ त्सो मोरीरि सर नामक तालाब 15×5 मील विस्तृत है। जंगली गधा तथा नीले रंग का बकरा यहाँ पर ही देखा जा सकता है।
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