"Question 3 खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है ?
Class 7 - Hindi - खानपान की बदलती तसवीर Page 105"
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उत्तर:
खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ स्थानीय व्यंजनों से है। ऐसे स्थानीय व्यंजन हमारी भारतीय संस्कृति का अंग होते हैं तथा किसी स्थान विशेष में प्रसिद्ध होते हैं। यह पहले सामान्य घरों में उपयोग होते थे। गुजरात का ढोकला और गठिया, दक्षिण का डोसा , इडली ,सांभर प्रसिद्ध है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ स्थानीय व्यंजनों से है। ऐसे स्थानीय व्यंजन हमारी भारतीय संस्कृति का अंग होते हैं तथा किसी स्थान विशेष में प्रसिद्ध होते हैं। यह पहले सामान्य घरों में उपयोग होते थे। गुजरात का ढोकला और गठिया, दक्षिण का डोसा , इडली ,सांभर प्रसिद्ध है।
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Answer:
खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे-नमकीन तो कहीं किसी प्रदेश की जलेबियाँ, पूड़ी और कचौड़ी आदि स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था और अपना अलग महत्त्व भी था। खानपान की मिश्रित संस्कृति के आने के कारण अब लोगों को खाने-पीने के व्यंजनों में इतने विकल्प मिल गए हैं कि अब स्थानीय व्यंजनों का प्रचलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।
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