India Languages, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

Question 4:
उदाहरणानुसारं रूपाणि लिखत-
विभक्तिः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथमा
पिता
पितरौ
पितरः (पितृ)
.............
भातरौ
............. (भ्रातृ)
द्ववितीया
दातारम्
दातारौ
दातृन् (दातृ)
.............
धातरौ
............. (धातृ)
तृतीया
धात्रा
...............
धातृभिः (धातृ)
.............
कर्तृभ्याम्
............. (कर्तृ)
चतुर्थी
नेत्रे
नेतृभ्याम्
नेतृभ्यः (नेतृ)
विधात्रे
..............
............. (विधातृ)
पञ्चमी
कर्तुः
कर्तृभ्याम्
कर्तृभ्यः (कर्तृ)
..............
...............
हर्तृभ्यः (हर्तृ)
षष्ठी
पितुः
पित्रोः
पितृणाम् (पितृ)
.............
भ्रात्रो
............. (भ्रातृ)
सप्तमी
सवितरि
सवित्रोः
सवितृषु (सवितृ)
अभिनेतरि
...............
................ (अभिनेतृ)
सम्बोधनम्
हे जामातः!
हे जामातरौ!
हे जामातरः (जामातृ)
हे नप्तः!
................
............... (नप्तृ)
Class 7 NCERT Sanskrit Chapter अनारिकाया: जिज्ञासा

Answers

Answered by nikitasingh79
11
•संस्कृत में संबोधन को छोड़कर सात विभक्तियां , 3 लिंग एवं तीन वचन होते हैं ।

विभक्तियां -प्रथमा, द्वितीया , तृतीया, चतुर्थी ,पंचमी, षष्टी, सप्तमी , संबोधनम् ।

•संस्कृत में छह कारक होते हैं - कर्ता, कर्म ,करण, संप्रदान अपादान, अधिकरण।

•कारक को प्रकट करने के लिए शब्द के साथ जो प्रत्यय जोड़ा जाता है उसे विभक्ति कहते हैं।

•संस्कृत में तीन वचन होते हैं - एकवचन >> जिससे एक वस्तु का बोध हो , द्विवचन >>  जिसमें दो वस्तुओं का बोध हो तथा बहुवचन >> जिससे अनेक वस्तुओं का बोध हो।


उत्तराणि :-

विभक्तिः   एकवचनम् द्विवचनम्   बहुवचनम्

प्रथमा --    भ्राता          भातर    भ्रातरः (भ्रातृ)

द्वितीया --  धातारम्         धातर     धातृन् (धातृ

तृतीया --  धात्रा     धातृभ्याम्      धातृभिः (धातृ)

तृतीया -- कर्त्रा      कर्तृभ्याम्     कर्तृभिः (कर्तृ)

चतुर्थी -- विधात्रे     विधातृभ्याम्     विधातृभ्यः (विधातृ)

पंचमी -- हर्तृः     हर्तृभ्याम्          हर्तृभ्यः (हर्तृ)

षष्टी --  भ्रातृ     भ्रात्रो         भ्रातृणाम् (भ्रातृ)

सप्तमी -- अभिनेतरि     अभिनेत्रो    अभिनेतृषु (अभिनेतृ)

संबोधनम् -- हे नप्तः!   हे नप्तारौ! हे नप्तारः! (नप्तृ)


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Answered by SweetCandy10
11

Answer:-

•संस्कृत में संबोधन को छोड़कर सात विभक्तियां , 3 लिंग एवं तीन वचन होते हैं ।

विभक्तियां -प्रथमा, द्वितीया , तृतीया, चतुर्थी ,पंचमी, षष्टी, सप्तमी , संबोधनम् ।

•संस्कृत में छह कारक होते हैं - कर्ता, कर्म ,करण, संप्रदान अपादान, अधिकरण।

•कारक को प्रकट करने के लिए शब्द के साथ जो प्रत्यय जोड़ा जाता है उसे विभक्ति कहते हैं।

•संस्कृत में तीन वचन होते हैं - एकवचन >> जिससे एक वस्तु का बोध हो , द्विवचन >>  जिसमें दो वस्तुओं का बोध हो तथा बहुवचन >> जिससे अनेक वस्तुओं का बोध हो।

उत्तराणि :-

विभक्तिः   एकवचनम् द्विवचनम्   बहुवचनम्

प्रथमा --    भ्राता          भातर    भ्रातरः (भ्रातृ)

द्वितीया --  धातारम्         धातर     धातृन् (धातृ

तृतीया --  धात्रा     धातृभ्याम्      धातृभिः (धातृ)

तृतीया -- कर्त्रा      कर्तृभ्याम्     कर्तृभिः (कर्तृ)

चतुर्थी -- विधात्रे     विधातृभ्याम्     विधातृभ्यः (विधातृ)

पंचमी -- हर्तृः     हर्तृभ्याम्          हर्तृभ्यः (हर्तृ)

षष्टी --  भ्रातृ     भ्रात्रो         भ्रातृणाम् (भ्रातृ)

सप्तमी -- अभिनेतरि     अभिनेत्रो    अभिनेतृषु (अभिनेतृ)

संबोधनम् -- हे नप्तः!   हे नप्तारौ! हे नप्तारः! (नप्तृ)

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