Question 5:
आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter प्रेमचंद के फटे जूते
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‘प्रेमचंद के फटे जूते’ लेखक हरिशंकर परसाई द्वारा रचित एक व्यंग रचना है। इसमें लेखक ने प्रेमचंद के फटे हुए जूते एवं उनके साधारण कपड़े जिसमें वे फोटो खिंचवाने भी चले जाते हैं, का वर्णन किया है। लेखक ने प्रेमचंद की सादगी का वर्णन करते हुए समाज में फैली दिखावे की परंपरा पर व्यंग किया है।
उत्तर :-
इस व्यंग को पढ़कर मुझे लेखक निम्नलिखित बातें आकर्षित करती है जो निम्न प्रकार है -
क) लेखक ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व शब्द चित्र प्रस्तुत किया है- ‘सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुर्ता और धोती पहने है ,कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां उभर आई है, और घनी मूछें चेहरे को भरा भरा बतलाती है।’
ख) लेखक की विस्तारण शैली बहुत प्रभावशाली है। उन्होंने प्रेमचंद के जूते का पूरा विवरण दिया है। जूता केनवस का है। इस के बंध उन्होंने बेतरतीब बांधे हैं । बंध के सिरे की लोहे की पटरी निकल गई है।जूते के छेदों में बंध डालने में परेशानी होती है। दाहिने पांव का जूता ठीक है परंतु बाय जूते के आगे बड़ा सा छेद है जिस में से उंगली बाहर निकल आई है।
ग) लेखक ने प्रचलित अंग्रेजी शब्दों का सहज रुप से प्रयोग किया है जैसे - ‘ रेडी प्लीज’ ,’ क्लिक ‘ , ‘थैंक्यू’, ‘ट्रेजेडी ‘ , फोटो।
घ) गोदान ,पूस की रात , कुंभनदास आदि के उदाहरण।
ड़) लेखक की संवाद शैली और बात से बात निकालने की प्रवृत्ति अत्यंत प्रभावी है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
उत्तर :-
इस व्यंग को पढ़कर मुझे लेखक निम्नलिखित बातें आकर्षित करती है जो निम्न प्रकार है -
क) लेखक ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व शब्द चित्र प्रस्तुत किया है- ‘सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुर्ता और धोती पहने है ,कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां उभर आई है, और घनी मूछें चेहरे को भरा भरा बतलाती है।’
ख) लेखक की विस्तारण शैली बहुत प्रभावशाली है। उन्होंने प्रेमचंद के जूते का पूरा विवरण दिया है। जूता केनवस का है। इस के बंध उन्होंने बेतरतीब बांधे हैं । बंध के सिरे की लोहे की पटरी निकल गई है।जूते के छेदों में बंध डालने में परेशानी होती है। दाहिने पांव का जूता ठीक है परंतु बाय जूते के आगे बड़ा सा छेद है जिस में से उंगली बाहर निकल आई है।
ग) लेखक ने प्रचलित अंग्रेजी शब्दों का सहज रुप से प्रयोग किया है जैसे - ‘ रेडी प्लीज’ ,’ क्लिक ‘ , ‘थैंक्यू’, ‘ट्रेजेडी ‘ , फोटो।
घ) गोदान ,पूस की रात , कुंभनदास आदि के उदाहरण।
ड़) लेखक की संवाद शैली और बात से बात निकालने की प्रवृत्ति अत्यंत प्रभावी है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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50
जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
उत्तर: जूते को पैर में पहना जाता है और टोपी सिर की शान बढ़ाता है। फिर भी आज के जमाने में टोपी के मुकाबले जूते की कीमत इतनी बढ़ गई है कि अच्छे अच्छे लोग किसी शक्तिशाली व्यक्ति के तलवे चाटने लगते हैं। अब किसी की विद्वता की कोई कीमत नहीं रह गई है। अब तो धन और सत्ता की पूजा होती है।
तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं।
उत्तर: ज्यादातर लोग अपनी कमजोरियों को ढ़कने के लिए हजारों उपाय करते हैं। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपनी कमजोरियों को ढ़कते नहीं बल्कि उन्हें दूर करते हैं और फिर डटकर जमाने का मुकाबला करते हैं।
जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?
उत्तर: अक्सर जब हम किसी को नीचा दिखाना चाहते हैं तो उसे ठेंगा दिखाते हैं, यानि हाथ का अँगूठा दिखाते हैं। लेखक को लगता है कि प्रेमचंद इस सबसे ऊपर उठ चुके हैं, इसलिए वे पाँव की अँगुली से लोगों की कमजोरियों की ओर इशारा करते हैं।
उत्तर: जूते को पैर में पहना जाता है और टोपी सिर की शान बढ़ाता है। फिर भी आज के जमाने में टोपी के मुकाबले जूते की कीमत इतनी बढ़ गई है कि अच्छे अच्छे लोग किसी शक्तिशाली व्यक्ति के तलवे चाटने लगते हैं। अब किसी की विद्वता की कोई कीमत नहीं रह गई है। अब तो धन और सत्ता की पूजा होती है।
तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं।
उत्तर: ज्यादातर लोग अपनी कमजोरियों को ढ़कने के लिए हजारों उपाय करते हैं। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपनी कमजोरियों को ढ़कते नहीं बल्कि उन्हें दूर करते हैं और फिर डटकर जमाने का मुकाबला करते हैं।
जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?
उत्तर: अक्सर जब हम किसी को नीचा दिखाना चाहते हैं तो उसे ठेंगा दिखाते हैं, यानि हाथ का अँगूठा दिखाते हैं। लेखक को लगता है कि प्रेमचंद इस सबसे ऊपर उठ चुके हैं, इसलिए वे पाँव की अँगुली से लोगों की कमजोरियों की ओर इशारा करते हैं।
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