Question 5:
भाव स्पष्ट कीजिए -
(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!
(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter कैदी और कोकिला
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कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कैदी और कोकिला’ कविता के माध्यम से कवि ने तत्कालीन ब्रिटिश शासकों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन करने वाले देशभक्तों पर किए जाने वाले अत्याचारों का वर्णन किया है। कवि ने बताया है कि स्वतंत्रता सेनानी जेल में बंद होने पर भी अपना साहस और हिम्मत नहीं खोते थे तथा महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अहिंसा आंदोलन में अपना पूरा योगदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।इस कविता में कवि ने जेल में एकांत और उदास जीवन व्यतीत करते हुए कोयल से अपने हृदय की पीड़ा और असंतोष का भाव व्यक्त किया था। कवि ने इस कविता में कैदियों को कारागार में दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों और दुखों की ओर भी संकेत किया है।
उत्तर :-
क)
कवि कोयल से यह जानना चाहता है कि वह इतनी रात के अंधकार में अचानक क्यों कूक पड़ी । वह तो प्रकृति के कोमल सौंदर्य रूपी वैभव की रक्षा करती है। उसे अचानक क्या हो गया कि आधी रात को ऊंचे स्वर में कूक पड़ी।
ख)
कवि ने अंग्रेजी शासनकाल में जेलों में किए जाने वाले अत्याचारों का उल्लेख करते हुए कहा है कि उसे पेट पर फीता बांधकर पशुओं की तरह कोल्हू चलाना पड़ता है, पर ऐसा करके भी वह अंग्रेज सरकार की अकड़ को तोड़ता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
उत्तर :-
क)
कवि कोयल से यह जानना चाहता है कि वह इतनी रात के अंधकार में अचानक क्यों कूक पड़ी । वह तो प्रकृति के कोमल सौंदर्य रूपी वैभव की रक्षा करती है। उसे अचानक क्या हो गया कि आधी रात को ऊंचे स्वर में कूक पड़ी।
ख)
कवि ने अंग्रेजी शासनकाल में जेलों में किए जाने वाले अत्याचारों का उल्लेख करते हुए कहा है कि उसे पेट पर फीता बांधकर पशुओं की तरह कोल्हू चलाना पड़ता है, पर ऐसा करके भी वह अंग्रेज सरकार की अकड़ को तोड़ता है।
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(क) कवि के अनुसार, वैसे तो संसार में कष्ट-ही-कष्ट हैं। यदि कहीं कुछ मृदुलता और सरसता बची है तो वह कोयल के मधुर स्वर में बची है। अतः कोयल मृदुलता की रखवाली करने वाली है। वह उससे पूछता है कि आखिर वह जेल में अपना मधुर स्वर गुँजाकर उसे क्या कहना चाहती है!
(ख) इसमें जेल की असहनीय यातनाएँ झेलता हुआ कवि स्वाभिमानपूर्वक कहता है कि वह अपने पेट पर कोल्हू का जूआ बाँधकर चरसा चला रहा है। आशय यह है कि उससे पशुओं जैसा सख्त काम लिया जा रहा है। फिर भी वह हार नहीं मान रहा। इससे ब्रिटिश सरकार की अकड़ ढीली पड़ रही है। अंग्रेज़ों को बोध हो गया है कि अब अत्याचार करने से भी वे सफल नहीं हो सकते।
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