"Question 5 एक तिनका' कविता में घमंडी को उसकी 'समझ' ने चेतावनी दी- ऐंठता तू किसलिए इतना रहा, एक तिनका है बहुत तेरे लिए। इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है- तिनका कबहूँ न निंदिए, पाँव तले जो होय| कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय|| • इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।
Class 7 - Hindi - एक तिनका Page 100"
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कवि ने एक तिनका कविता में एक तिनके के द्वारा यह समझाने का प्रयास किया है कि मनुष्य को अपने पर अभिमान नहीं करना चाहिए। उसे ईश्वर की बनाई सभी वस्तुओं को समान समझना चाहिए। यदि मनुष्य ऐसा नहीं करता तो एक छोटा सा तिनका भी उसके अभिमान को तोड़ने के लिए बहुत है। इसी प्रकार की चेतावनी कबीर जी ने भी मनुष्य को दी है की तिनके जैसे छोटी वस्तु जब पैरों के नीचे आ जाए तो उसका अपमान नहीं करना चाहिए। यह नहीं सोचना चाहिए कि उसने तिनके को अपने पैरों के नीचे मसल दिया है। पता नहीं कब यह तिनका उड़कर आंखों में चला जाए। आंख में तिनके के चले जाने पर बहुत पीड़ा होती है। इसलिए कहा है की हर वस्तु की अपनी मेहता होती है किसी को भी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। नहीं तो घमंडी व्यक्ति का घमंड तोड़ने के लिए एक छोटा सा तिनका भी बहुत है।
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(क)इन दोनों काव्यांशों की पंक्तियों में समानता यह है कि दोनों में ही बताया गया है कि छोटा-सा तिनका भी अगर आँख में पड़ जाए तो मनुष्य को बेचैन कर देता है।
(ख)इन दोनों काव्यांशों की पंक्तियों में अंतर‘एक तिनका’ कविता में कवि ने दर्शाया है कि छोटे से तिनके में मनुष्य का घमंड तोड़ देने की शक्ति है।जबकि कबीर ने कहा है कि तिनके को कभी पाँव तले मत रौंदो न जाने कब वह उड़कर आँख में पड़ जाए और बहुत दर्द सहना पड़े अर्थात् छोटा व्यक्ति भी कभी-कभी नुकसान पहुँचा सकता है।
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