Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

Question 7:
भाव स्पष्ट कीजिए -
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter सवैये"

Answers

Answered by krishna210398
3

Answer:

(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।

(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।

Explanation:

(ख) माई री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै। भाव यह है कि कृष्ण की मुस्कान इतनी मोहनी व अद्रुत है कि गोपियाँ स्वयं को संभाल नहीं पाती। अत: उनकी मुसकान मेें वे इस तरह से मोहित हो जाती है कि लोक-लाज का भय उनके मन में रहता ही नहीं है और वह कृष्ण की तरफ़ खींचती जाती हैं।

कवि के भाव के अनुसार जो आत्मिक सुख ब्रज की प्राकृतिक छटा में है, उसके सौंदर्य को निहारने में है वैसा सुख संसार की किसी भी सांसारिक वस्तु को निहारने में नहीं है। इसलिए वह ब्रज की काँटेदार झाड़ियों व कुंजन पर सोने के महलों का सुख न्योछावर कर देना चाहते हैं।

रसखान सब कुछ करीन की कुंजन पर इसलिये न्योछावर कर देना चाहता है, क्योंकि उन करीन की कुंजन में कभी श्रीकृष्ण ने विचरण किया था, गायें चराई थी, गोपियों संग रास रचाया था।

माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै। उपर्युक्त पंक्तियों का भाव यह है कि कृष्ण की मुस्कान इतनी मोहक है कि गोपी से वह झेली नहीं जाती है अर्थात् कृष्ण की मुस्कान पर गोपी इस तरह मोहित हो जाती है कि लोक लाज का भी भय उनके मन में नहीं रहता और गोपी कृष्ण की तरफ़ खींचती जाती है।

भाव स्पष्ट कीजिए -

(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।

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कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।

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#SPJ3

Answered by barwarsunita94
2

Answer:

hope it will help you thank you

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