Question 7:
कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter चंद्र गहना से लौटती बेर
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श्री केदारनाथ अग्रवाल के द्वारा रचित कविता चंद्र गहना से लौटती बेर वास्तव में प्रकृति के मानवीकरण का अनूठा रूप है। पूरी कविता में ही प्रकृति का मानवीकरण स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। चने का बालिश्त भर का यानी छोटा पेड़ अपने सिर पर गुलाबी रंगों के फूलों से सुसज्जित ऐसा प्रतीत होता है मानो सिर पर किसी ने गुलाबी रंग की पगड़ी बांधी हुई हो। उधर सरसों के पौधे पक कर तैयार हो गए हैं। उसे कवि ने इस रूप में व्यक्त किया है- मानो सरसों ने अपने हाथ पीले कर लिए हो और शादी के मंडप में उतर आई हो।
इसी प्रकार हठीली अलसी के दुबले-पतले एवं लचीला पेड़ नीले फूलों से सजे हैं और हल्की सी हवा के कारण वे दूसरे पेड़ों पर गिर रहे हैं और कह रहे हैं कि यदि किसी ने इन्हें छुआ तो वे उसे अपना दिल दे देगी।
इसी प्रकार कवि ने पत्रों का मानवीकरण करते हुए कहा है कि तालाब के किनारे पानी में अधडूबे पत्थर भी पानी पी रहे हैं। चित्रकूट की भूमि बांझ है जिस पर कांटेदार कुरूप पेड़ खड़े हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
इसी प्रकार हठीली अलसी के दुबले-पतले एवं लचीला पेड़ नीले फूलों से सजे हैं और हल्की सी हवा के कारण वे दूसरे पेड़ों पर गिर रहे हैं और कह रहे हैं कि यदि किसी ने इन्हें छुआ तो वे उसे अपना दिल दे देगी।
इसी प्रकार कवि ने पत्रों का मानवीकरण करते हुए कहा है कि तालाब के किनारे पानी में अधडूबे पत्थर भी पानी पी रहे हैं। चित्रकूट की भूमि बांझ है जिस पर कांटेदार कुरूप पेड़ खड़े हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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kavita kee kuchh panktiyon mein kavi ne prakrti ka maanavakaran kiya hai; jaise-
(1) yah hara thigana chana, baandhe muraitha sheesh par
chhote gulaabee phool ka, saj kar khada hai.
(2) paas hee mil kar ugee hai, beech mein alasee hatteelee.
deh kee patalee, kamar kee hai lacheelee,
neel phoole phool ko sir par chadhakar
kah rahee hai, jo chhua yah doon dil ka daan usako.
(3) aur sarason kee na poochho-ho gaya sabase sayaanee, haath peele kar rahe hain,
byaah-mandap mein paareer.
(4) kaee patthar ke kinaare hain, pee rahe chupachaap paanee.
(1) yah hara thigana chana, baandhe muraitha sheesh par
chhote gulaabee phool ka, saj kar khada hai.
(2) paas hee mil kar ugee hai, beech mein alasee hatteelee.
deh kee patalee, kamar kee hai lacheelee,
neel phoole phool ko sir par chadhakar
kah rahee hai, jo chhua yah doon dil ka daan usako.
(3) aur sarason kee na poochho-ho gaya sabase sayaanee, haath peele kar rahe hain,
byaah-mandap mein paareer.
(4) kaee patthar ke kinaare hain, pee rahe chupachaap paanee.
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