Question 8:
आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter प्रेमचंद के फटे जूते
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‘प्रेमचंद के फटे जूते’ लेखक हरिशंकर परसाई द्वारा रचित एक व्यंग रचना है। इसमें लेखक ने प्रेमचंद के फटे हुए जूते एवं उनके साधारण कपड़े जिसमें वे फोटो खिंचवाने भी चले जाते हैं, का वर्णन किया है। लेखक ने प्रेमचंद की सादगी का वर्णन करते हुए समाज में फैली दिखावे की परंपरा पर व्यंग किया है।
उत्तर :-
आजकल लोग अपनी वेशभूषा के प्रति बहुत जागरूक हो गए हैं। वे मौके के अनुसार वेशभूषा का चयन करते हैं। स्कूल में एक निश्चित वेशभूषा पहनकर जाना होता है। घरों में तथा विभिन्न त्योहारों, शादियों , सभाओं और समारोह आदि के अवसर पर हम अपनी पसंद की वेशभूषा पहन सकते हैं। लड़के अधिकतर पैंट -शर्ट अथवा जींस तथा टी- शर्ट पहनना पसंद करते हैं।वे अच्छे जूते पहनते हैं। लड़कियां भी सलवार सूट के साथ मैचिंग दुपट्टा और सैंडल अथवा टॉप- जींस अथवा साड़ी पहनती है। सबको अपने व्यक्तित्व को निखारने वाले रंगों के बस पहनने अच्छे लगते हैं। आज वेशभूषा से ही किसी व्यक्ति के स्वभाव ,स्तर आदि का ज्ञान हो जाता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपनी वेशभूषा के प्रति बहुत जागरूक हो गया है। लोगों को आजकल लगने लगा है की वेशभूषा व्यक्तित्व की पहली छाप होती है, जो सामने वाले को प्रभावित करती है। आज कल समाज के सभी वर्ग एवं समुदाय के लोग अपनी वेशभूषा के प्रति अत्यधिक जागरूक रहते हैं तथा उस के माध्यम से सामने वाले व्यक्ति को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
उत्तर :-
आजकल लोग अपनी वेशभूषा के प्रति बहुत जागरूक हो गए हैं। वे मौके के अनुसार वेशभूषा का चयन करते हैं। स्कूल में एक निश्चित वेशभूषा पहनकर जाना होता है। घरों में तथा विभिन्न त्योहारों, शादियों , सभाओं और समारोह आदि के अवसर पर हम अपनी पसंद की वेशभूषा पहन सकते हैं। लड़के अधिकतर पैंट -शर्ट अथवा जींस तथा टी- शर्ट पहनना पसंद करते हैं।वे अच्छे जूते पहनते हैं। लड़कियां भी सलवार सूट के साथ मैचिंग दुपट्टा और सैंडल अथवा टॉप- जींस अथवा साड़ी पहनती है। सबको अपने व्यक्तित्व को निखारने वाले रंगों के बस पहनने अच्छे लगते हैं। आज वेशभूषा से ही किसी व्यक्ति के स्वभाव ,स्तर आदि का ज्ञान हो जाता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपनी वेशभूषा के प्रति बहुत जागरूक हो गया है। लोगों को आजकल लगने लगा है की वेशभूषा व्यक्तित्व की पहली छाप होती है, जो सामने वाले को प्रभावित करती है। आज कल समाज के सभी वर्ग एवं समुदाय के लोग अपनी वेशभूषा के प्रति अत्यधिक जागरूक रहते हैं तथा उस के माध्यम से सामने वाले व्यक्ति को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
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Explanation:
आज के समय में लोगों का दृष्टिकोण बहुत बदल गया है। आज की दुनिया दिखावे के प्रति जयादा जागरूक है। यहाँ तक की व्यक्ति का मान-सम्मान और चरित्र भी वेश-भूषा पर अवलम्बित हो गया हैं। आज सादा जीवन जीने वालों को पिछड़ा समझा जाने लगा है। अगर समाज में अपनी शान बनाए रखनी है तो महँगे से महँगे कपड़े पहनना आवश्यक हो गया है और समय के साथ कोई खुद को न बदले तो उसकी समाज में प्रतिष्ठा नही बनती।
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