Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

Question 9:
कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter साखियाँ एवं सबद

Answers

Answered by nikitasingh79
464
‘साखियां एवं सबद’ के रचयिता संत कबीर हैं। ‘साखियों’ में संत कबीर ने निर्गुण भक्ति के प्रति अपनी आस्था के भावों को प्रकट करते हुए माना है कि हृदय रूपी का मानसरोवर भक्ति जल से पूरी तरह भरा हुआ है जिसमें हंस रूपी आत्माएं मुक्ति रूपी मोती चुनती है। ‘ सबद’ में  संत कबीर निर्गुण भक्ति के प्रति अपनी निष्ठा भाव को प्रकट करते हुए कहते हैं कि ईश्वर को मनुष्य अपने अज्ञान के कारण इधर-उधर ढूंढने का प्रयास करता है। वह नहीं जानता कि उसके अपने भीतर ही छिपा हुआ है।

उत्तर : -
कवि ने ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है जो समाज में युवाओं से प्रचलित है। विभिन्न धर्मों को मानने वाले अपने अपने तरीके से धार्मिक स्थलों पर पूजा अर्चना करते हैं। हिंदू मंदिरों में जाते हैं तो मुसलमान मस्जिदों में। कोई ईश्वर की प्राप्ति के लिए तरह तरह की क्रिया कर्म करता है तो कोई योग साधना करता है। कोई वैरागी को अपना लेता है पर इससे उसकी प्राप्ति नहीं होती। कबीर का मानना है कि ईश्वर हर प्राणी में स्वयं बसता है। इसलिए उसे कहीं बाहर ढूंढने की कोशिश पूरी तरह बेकार है।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
Answered by Anonymous
230

कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विशेषताओं का खंडन किया है?

:- ईश्वर प्राप्ति के लिए प्राय निम्नलिखित विश्वास प्रचलित है जिनका कबीर ने खंडन किया है।

१. देवालयों मंदिरों में ईश्वर मिलता है।

२. ईश्वर मस्जिद में उपासना करने से मिलता है।

३. काबा या काशी- कैलाश की तीर्थ यात्रा करने से ईश्वर मिलता है।

४. कर्मकांड या भिन्न-भिन्न उपासना पध्दतियों

के पालन से ईश्वर मिलता है।

५. योगी हो जाने या सन्यास ग्रहण करने से ईश्वर मिलता है।

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