Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

Question 9:
'और सरसों की न पूछो' - इस उक्ति में बात को कहने का एक खास अंदाज़ है। हम इस प्रकार की शैली का प्रयोग कब और क्यों करते हैं?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter चंद्र गहना से लौटती बेर

Answers

Answered by nikitasingh79
14
‘चंद्र ग्रहण से लौटती बेर ‘ कविता के रचयिता कवि केदारनाथ अग्रवाल जी है। इस कविता में कवि का प्रकृति के प्रति गहन प्रेम का पता चलता है। वह चंद्र गहना नामक स्थान से लौटते हैं, तो वहां का प्राकृतिक परिवेश उन्हें बहुत आकर्षित कर लेता है। उसी प्रकृति एवं संस्कृति की एकता उन्होंने इस कविता में व्यक्त की है।

उत्तर :-
हम सामान्य बोलचाल में इस तरह की शैली का प्रयोग किसी की प्रशंसा करते समय करते है। अत्याधिक आश्चर्य , निंदा या भावों की अति देखने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। हम किसी भाव से इतने अधिक अभिभूत हो जाते हैं कि हमें अभिव्यक्ति के लिए कोई शब्द नहीं मिलते तो हम शब्दों की लाचारी के तहत कहते हैं कि “उसकी बात मत पूछो!”

जब वह युवा हो चुकी सरसों के लिए कहता है - ‘और सरसों की न पूछो’ तो उससे यह स्पष्ट रूप से ध्वनित होता है कि अब इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है कि सरसों बड़ी हो गई है और विवाह के योग्य हो चुकी है।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
Answered by CBSEMP
8
u are student of 9th class

ek vastu kee baat karate hue doosare vastu ke baare mein bataane ke lie ham is shailee ka prayog karate hain. is prakaar kee shailee ka prayog vastu kee visheshataon par dhyaan kendrit karane aur kisee kee prashansa karane ke lie kiya jaata hai.
Similar questions