Music, asked by rajani221987, 4 months ago

Question 9:
रामकथा के तीसरे अध्याय में मंथरा कैकेयी को समझाती है कि राम को युवराज बनाना उसके बेटे के हक में नहीं है। इस प्रसंग को अपने शब्दों में कक्षा में नाटक के रूप में प्रस्तुत करो।
ANSWER:
(रानी कैकेयी के कक्ष का दृश्य। रानी कैकेयी सोयी हुई हैं। इसी समय कक्ष में मंथरा का प्रवेश।)
मंथरा :-''अब तो उठ जाओ मेरी मूर्ख रानी! यदि अभी न उठी तो जीवन भर पश्चाताप की अग्नि में जलना होगा। इससे पहले कि कोई विपत्ति आए, जाग जाओ।''
कैकेयी :-(आश्चर्य से) ''क्या हुआ मंथरा? तुम इतना घबराई क्यों हो? सब कुशल-मंगल तो है न।''
मंथरा :-''जहाँ अमंगल की छाया पड़ गई हो वहाँ सब कुशल-मंगल कैसे हो सकता है? तुम्हारे दुखों का आगमन हो रहा है। महाराज दशरथ ने कल राम के राज्याभिषेक की घोषणा की है।''
कैकेयी :-(खुशी से) '' अमंगल कैसा? यह तो अति शुभ समाचार है।'' (कैकेयी ने खुशी से अपने गले का हार उतारकर मंथरा को दे दिया)
''मैं बहुत प्रसन्न हूँ। अयोध्या को योग्य राजकुमार मिल गया है।''
मंथरा :-''तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। यहाँ राम की योग्यता का प्रश्न नहीं है। तुम्हारे विरूद्ध षडयंत्र रचा जा रहा है। ''(मंथरा ने हार फेंकते हुए कहा) कल सुबह राज्याभिषेक है। भरत को जानबूझकर ननिहाल भेज दिया। उसे समारोह की कोई खबर तक नहीं।''
कैकेयी :-(मंथरा को डाँटते हुए) राम मुझे माँ के समान स्नेह करते हैं। षडयंत्र कैसा? राम ज्येष्ठ पुत्र हैं। राजा बनने के अधिकारी राम ही हैं।
मंथरा :-''तुम्हारी बुद्धि पर मुझे दया आती है। तुम्हें उस वक्त समझ में आएगा जब तुम कौशल्या की दासी बनोगी। परन्तु उस समय पछताने के सिवा और कोई रास्ता न होगा। (कुछ रूककर) एक उपाय है, तुमने युद्ध के समय दशरथ की मदद की थी उसके बदले राजा ने तुम्हें दो वर देने के लिए कहा था। यह सही मौका है माँग लो एक तो राम को वनवास दूसरा भरत को राज्य।
कैकेयी :-शायद तुम ठीक कह रही हो। ''महाराज का षडयंत्र सफल नहीं होगा। भरत ही राजा बनेंगे।''
(रानी कैकेयी क्रोधित होकर कोप भवन चली गईं।)​

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Answered by mathdude500
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ANSWER:

(रानी कैकेयी के कक्ष का दृश्य। रानी कैकेयी सोयी हुई हैं। इसी समय कक्ष में मंथरा का प्रवेश।)

मंथरा :-''अब तो उठ जाओ मेरी मूर्ख रानी! यदि अभी न उठी तो जीवन भर पश्चाताप की अग्नि में जलना होगा। इससे पहले कि कोई विपत्ति आए, जाग जाओ।''

कैकेयी :-(आश्चर्य से) ''क्या हुआ मंथरा? तुम इतना घबराई क्यों हो? सब कुशल-मंगल तो है न।''

मंथरा :-''जहाँ अमंगल की छाया पड़ गई हो वहाँ सब कुशल-मंगल कैसे हो सकता है? तुम्हारे दुखों का आगमन हो रहा है। महाराज दशरथ ने कल राम के राज्याभिषेक की घोषणा की है।''

कैकेयी :-(खुशी से) '' अमंगल कैसा? यह तो अति शुभ समाचार है।'' (कैकेयी ने खुशी से अपने गले का हार उतारकर मंथरा को दे दिया)

''मैं बहुत प्रसन्न हूँ। अयोध्या को योग्य राजकुमार मिल गया है।''

मंथरा :-''तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। यहाँ राम की योग्यता का प्रश्न नहीं है। तुम्हारे विरूद्ध षडयंत्र रचा जा रहा है। ''(मंथरा ने हार फेंकते हुए कहा) कल सुबह राज्याभिषेक है। भरत को जानबूझकर ननिहाल भेज दिया। उसे समारोह की कोई खबर तक नहीं।''

कैकेयी :-(मंथरा को डाँटते हुए) राम मुझे माँ के समान स्नेह करते हैं। षडयंत्र कैसा? राम ज्येष्ठ पुत्र हैं। राजा बनने के अधिकारी राम ही हैं।

मंथरा :-''तुम्हारी बुद्धि पर मुझे दया आती है। तुम्हें उस वक्त समझ में आएगा जब तुम कौशल्या की दासी बनोगी। परन्तु उस समय पछताने के सिवा और कोई रास्ता न होगा। (कुछ रूककर) एक उपाय है, तुमने युद्ध के समय दशरथ की मदद की थी उसके बदले राजा ने तुम्हें दो वर देने के लिए कहा था। यह सही मौका है माँग लो एक तो राम को वनवास दूसरा भरत को राज्य।

कैकेयी :-शायद तुम ठीक कह रही हो। ''महाराज का षडयंत्र सफल नहीं होगा। भरत ही राजा बनेंगे।''

(रानी कैकेयी क्रोधित होकर कोप भवन चली गईं।)

Answered by Casper608
10

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(रानी कैकेयी के कक्ष का दृश्य। रानी कैकेयी सोयी हुई हैं। इसी समय कक्ष में मंथरा का प्रवेश।)

मंथरा :-''अब तो उठ जाओ मेरी मूर्ख रानी! यदि अभी न उठी तो जीवन भर पश्चाताप की अग्नि में जलना होगा। इससे पहले कि कोई विपत्ति आए, जाग जाओ।''

कैकेयी :-(आश्चर्य से) ''क्या हुआ मंथरा? तुम इतना घबराई क्यों हो? सब कुशल-मंगल तो है न।''

मंथरा :-''जहाँ अमंगल की छाया पड़ गई हो वहाँ सब कुशल-मंगल कैसे हो सकता है? तुम्हारे दुखों का आगमन हो रहा है। महाराज दशरथ ने कल राम के राज्याभिषेक की घोषणा की है।''

कैकेयी :-(खुशी से) '' अमंगल कैसा? यह तो अति शुभ समाचार है।'' (कैकेयी ने खुशी से अपने गले का हार उतारकर मंथरा को दे दिया)

''मैं बहुत प्रसन्न हूँ। अयोध्या को योग्य राजकुमार मिल गया है।''

मंथरा :-''तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। यहाँ राम की योग्यता का प्रश्न नहीं है। तुम्हारे विरूद्ध षडयंत्र रचा जा रहा है। ''(मंथरा ने हार फेंकते हुए कहा) कल सुबह राज्याभिषेक है। भरत को जानबूझकर ननिहाल भेज दिया। उसे समारोह की कोई खबर तक नहीं।''

कैकेयी :-(मंथरा को डाँटते हुए) राम मुझे माँ के समान स्नेह करते हैं। षडयंत्र कैसा? राम ज्येष्ठ पुत्र हैं। राजा बनने के अधिकारी राम ही हैं।

मंथरा :-''तुम्हारी बुद्धि पर मुझे दया आती है। तुम्हें उस वक्त समझ में आएगा जब तुम कौशल्या की दासी बनोगी। परन्तु उस समय पछताने के सिवा और कोई रास्ता न होगा। (कुछ रूककर) एक उपाय है, तुमने युद्ध के समय दशरथ की मदद की थी उसके बदले राजा ने तुम्हें दो वर देने के लिए कहा था। यह सही मौका है माँग लो एक तो राम को वनवास दूसरा भरत को राज्य।

कैकेयी :-शायद तुम ठीक कह रही हो। ''महाराज का षडयंत्र सफल नहीं होगा। भरत ही राजा बनेंगे।''

(रानी कैकेयी क्रोधित होकर कोप भवन चली गईं।)

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