Question answers of jagran geet
Answers
Answered by
2
Answer:
झाँक चलें रे मन मन्दिर में ,
सत्य सदा ही स्वीकारें ।
खोजें खुद को अपने अन्दर ,
विनम्रता से व्यवहारें ।।
सृष्टि सँजोयी प्रकृति रुपहली ,
कण-कण संजीवन ज्योती ।
पग-पग पर बिखरीं हैं खुशियाँ ,
चुन लें हम सागर मोती ।।
मानव श्रेष्ठ बनाया जग में ,
बुद्धि , विवेक , ज्ञान सोंपा ।
संवेदना प्यार उपजाया ,
गर्मी , शीत ,पवन झोंका ।।
चन्दन माटी द्रव्य खजाना ,
नत मस्तक हो सिर धारें ।
खोजें खुद को अपने अन्दर ,
विनम्रता से व्यवहारें ।।
बड़े भाग्य मानव तन पाया ,
मिली साँस हैं गिनती की ।
क्या था करना , क्या करते हम,
उड़ें उड़ानें नभ ऊँची ।।
आज रेत पर दौड़ चल रहीं ,
भूलें जमीन सच्चाई ।
कागज की नावें गल जातीं ,
अंधी होड़ न सुखदायी ।।
Similar questions