Question :-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर छाती धधक उठी मेरी। कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
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जब सुखिया का पिता जेल से छूटा तो वह श्मशान में गया। उसने देखा कि वहाँ उसकी बेटी की जगह राख की ढेरी पड़ी थी। उसकी बेटी की चिता ठंडी हो चुकी थी। पर एक पिता के सीने के आग धधक रही थी।
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कवि केहना चाहता है कि उस महान पुरुष के जीते जीत उसका की मान नहीं हुआ नहीं सम्मान हुआ उसके पदो और कविताओं का भी मान नहीं हुआ पर उसके इस दुनिया को छोड़ जाने के बाद लोग उसे मान दे रहे है सम्मान कर रहे है उनके पदो कविताओं को पड़ रहे है ये सब देख कवि को काफी दुख हुआ है
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