Hindi, asked by Anonymous, 10 months ago

Question Here. भिक्षावृत्ति एक समस्या पर निबंध लिखें ?​

Answers

Answered by Anonymous
32

Answer:

भिक्षावृत्ति : एक समस्या

' परहित सरिस धर्म नहिं भाई ' :-

की भावना भारतीय संस्कृति का मूल रही है | इस परोपकार तथा दान की भावना ने समाज के कुछ आलसी वर्गों को आत्म सम्मान हीन बना दिया है |वह दूसरों की उत्कृष्ट भावना का लाभ उठाते हुए भिक्षा को अपनी आजीविका बनाए हुए हैं |उनके आला से ने ना केवल उनके जीवन को अभी श्राप ग्रस्त बना दिया है ,अपितु यह राष्ट्र के लिए भी एक कलंक बन गया है

देश के किसी भी भाग में चले जाएं भिखारियों की तादात में उत्तरोत्तर वृद्धि ही दिखाई पड़ती है |पर्यटन स्थलों धार्मिक स्थलों तथा दर्शनीय स्थानों पर यह भारी संख्या में मौजूद होते हैं |इनमें से अधिकांश का समस्त परिवार भिक्षा वृद्धि से जुड़ा है, तथा वे निरंतर अनेक वर्षों से सड़कों चौराहों गलियों मंदिरों तथा मस्जिदों आदि स्थानों पर भीख मांग कर अपना जीवन चलाते चले जाते हैं |भारत जैसे देश के लिए भिक्षावृत्ति एक को प्रवृत्ति है |जो राष्ट्रीय विकास में बाधक है |मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आत्मा अभिमान हीन इन भिक्षुओं की मुख्य समस्या कामना करने की है |समय के साथ-साथ यह उनका व्यवसाय बन गया है |वह इस और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक घृणित कृतियां अपनाते हैं| जन सामान्य में करुणा की भावना उत्पन्न करने हेतु अंग भंग कर लेते हैं |और बालों को से भी भीख मंगवाते हैं इस प्रकार की कुर्ती सद्भावना समस्त राष्ट्रीय चिंतन के क्षेत्र में बाधक सिद्ध होती है |

भिक्षा वृद्धि का मूल कारण देश की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति यही है |कुछ लोग असहाय होने के कारण भीख मांगने लगते हैं |तो कुछ धर्म की आड़ में भगवा वस्त्र धारण कर यह कार्य करते हैं अच्छे हिस्ट्री पोस्ट नवयुवक भी कामना कर बिछा को जी का बना लेते हैं |इस प्रीत पर किए गए विभिन्न सर्वेक्षणों से पता चलता है कि इनका भीख मांगना मजबूरी नहीं अपितु आमदनी की सरल माध्यम है |इस प्रवृत्ति ने व्यवस्थाएं का रूप भी धारण कर लिया है |अधिकांश िक्षकों को अपने इस काम के प्रति कोई ग्लानि या घृणा का भाव नहीं है |वृद्धि की समस्या बहुआयामी है |बड़े शहरों में इस वृद्धि में लीन लोगों ने अपने संगठन बना दिए हैं| भिक्षा की आड़ में उनमें से काफी लोग अन्य अनैतिक तथा असामाजिक गतिविधियों में भी लीन है ऐसी अनेक घटनाएं घटित हो चुकी है जिनमें चोरी तथा तस्करी के गणित कामों में भिखारियों का हाथ था वृत्त की बढ़ती तेजी को देखकर कहा जा सकता है कि यह समाज की उन्नति के मार्ग में बाधक है काम चोरी तथा अकर्मण्यता की भावना को पोषित करने वाली इस प्रवृत्ति को रोकने हेतु भिक्षावृत्ति सरकारी तौर पर निषेध किया जाना आवश्यक है तथा विकलांग लोगों को सामाजिक संरक्षण प्रदान कर व्यवसाय में लगा देना चाहिए इन लोगों को आश्रय देकर ही कल्याणकारी उन्नति से देश की कल्पना की जा रही है दूसरी और शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ लोगों के भीख मांगने को रोका जाना भी अत्यंत आवश्यक है |

भिक्षुओं की अधिकाधिक संख्या से देश की आर्थिक स्थिति को तो नुकसान पहुंचता ही है साथ ही स्वाभिमान ही लोग विदेशियों के सम्मुख भी देश का मस्तक नीचा करते हैं गुलामी के आसाम के वर्षों में देशवासियों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई थी | िक्षकों की बढ़ती जनसंख्या तथा निसंकोच हाथ फैलाने की प्रवृत्ति से देश की छवि को आज भी बहुत नुकसान हो रहा है वृक्षा वृत्त के उन्मूलन के लिए देशव्यापी योजनाओं का निर्माण होना आवश्यक है |परोपकार व शिक्षकों की आजीविका चलाने वाला भारतीय समाज जब तक इन्हें पोषित करता रहेगा तब तक किया भिक्षुक वर्ग यूं ही विकसित एवं पोस्ट होते रहेगा समाज में जागरण लाने के लिए आवश्यक है कि भीख देकर अपना अगला जन्म सुधारने के लिए उनका यह जन बिगाड़ना कहां का धर्म है |परोपकारी वर्ग को चाहिए कि वे इस भिक्षुक समाज को नैतिक शिक्षा दें उनकी शिक्षा एवं रोजगार का प्रबंध करें ताकि वह सब नागरिक देश की तरक्की में हाथ बटाए ना कि समाज पर एक बोझ बन अपनी उपलब्धियों से उसे दूषित एवं कलंकित करें आंखों को आवास की व्यवस्था का रोजगार का प्रबंध किया जाना आवश्यक है| सामाजिक अपराध समझा जाना चाहिए यदि ऐसा नहीं किया गया तो ऐसे लोगों को में काफी योगदान हो सकता है एवं समाज दोनों तरफ से द्वारा ही इस प्रवृत्ति का समूल नाश संभव है |

Answered by sy7219657
0

Answer:

भिक्षावृत्ति की बढ़ती समस्या पर निबंध

Attachments:
Similar questions