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भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण करने लगती हैं।
Explanation:
लेखक को अतिथि राक्षस के समान लगने लगता है। अब अतिथि के प्रति सत्कार की कोई भावना नहीं बची। भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण करने लगती हैं।
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