India Languages, asked by ajitshelar680, 7 months ago

Question No. 6
अव्वल इंग्रजी काळात शास्त्रीपंडितांच्या मदतीने मराठीचे प्रमाणीकरण करण्याचा यशस्वी प्रयत्न कोणी केला?
O मेजर कँडी
मोलस्वर्थ
० एल्फिन्स्टन
ग्रीअर्सन

Answers

Answered by anshul24122
0

Answer:

please mark as brainlist please

Explanation:

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 3 न गङ्गदतः पुनरेति कूपम् (कथा – नाटक कौमुदी)

पाठ-सारांश

परिचय-संस्कृत साहित्य में कथा-लेखन की परम्परा अत्यधिक प्राचीन है। तत्कालीन समय में इन कथाओं की रचना का उद्देश्य धर्म, अर्थ एवं काम की प्राप्ति हुआ करता था। इनके अतिरिक्त संस्कृत वाङ्मय में नीति और उपदेशात्मक कथाओं की भी एक दीर्घ श्रृंखला प्राप्त होती है जिनमें ‘पञ्चतन्त्रम्, ‘हितोपदेशः’, ‘बृहत्कथामञ्जरी’, ‘कथासरित्सागर’, ‘वेतालपञ्चविंशतिका’, ‘भोजप्रबन्ध’, ‘भट्टकद्वात्रिंशतिका’ आदि उल्लेखनीय हैं। इस सभी कथा-श्रृंखलाओं में ‘पञ्चतन्त्रम्’ नामक कथा-संग्रह सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इसके रचयिता (UPBoardSolutions.com) विष्णुशर्मा नाम के एक ब्राह्मण थे। इन्होंने महिलारोप्य नगर के राजा अमरशक्ति के अयोग्य एवं विवेकशून्य पुत्रों को शिक्षित करने के लिए इस ग्रन्थ की रचना की थी। इस ग्रन्थ. में शिष्टाचार, सदाचार, राजनीति एवं लोक-नीति से सम्बद्ध विषयों का कथाओं के माध्यम से अच्छा प्रतिपादन किया गया है। इसकी कथाओं के माध्यम से प्राप्त ज्ञान के द्वारा राजा अमरशक्ति के पुत्र अत्यधिक ज्ञानी और विवेकशील हो गये।

इस ग्रन्थ में पशु-पक्षियों, मानवों आदि के माध्यम से प्रत्येक कथा को विस्तार दिया गया है। इस ग्रन्थ के पाँच तन्त्र (भाग) हैं-‘मित्रभेदः’, ‘मित्र-सम्प्राप्तिः’, ‘काकोलूकीयम्’, ‘लब्धप्रणाशम् तथा ‘अपरीक्षितकारकम्’। इस ग्रन्थ का रचनाकाल 300 ईस्वी के आसपास माना जाता है। प्रस्तुत कथा इसी ग्रन्थ के चतुर्थ तन्त्र ‘लब्धप्रणाशम्’ से ली गयी है।

भागीदारों से बदला लेने का उपाय- किसी कुएँ में गंगदत्त नाम को मेढकों का राजा रहता था। वह अपने भागीदारों से अत्यधिक परेशान होकर एक दिन रहट की बाल्टी में चढ़कर कुएँ से बाहर निकल आया। उसने अपने भागीदारों से बदला लेने का विचार करके बिल में प्रवेश करते हुए एक काले सर्प को देखा और उसकी सहायता से अपने भागीदारों के विनाश करने का निश्चय किया। उसने बिल के द्वार पर जाकर सर्प को बुलाया और उससे मैत्री करने का प्रस्ताव किया। पहले तो सर्प (प्रियदर्शन) इसके लिए तैयार न हुआ, किन्तु बाद में (UPBoardSolutions.com) गंगदत्त की करुण कहानी सुनकर और उसके द्वारा भोज्य को सुलभतापूर्वक प्राप्त होता देककर उसके मैत्री प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। गंगदत्त ने उसे पक्के कुएँ में रहट के मार्ग से ले जाकर जल के पास स्थित कोटर (वह खोखला अंश, जिसमें पक्षी, साँप आदि रहते हैं।) में बैठकर सुख से भागीदारों का विनाश करने के लिए कहा और अपने परिवार वालों के भक्षण का निषेध कर दिया।

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