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कोटद्वार। पक्षियों की अपनी अलग और अजीब सी दुनिया है। इनके रहने के अलग-अलग तरीके हैं। इनका घोसला एक तरह का नहीं बल्कि कई तरह का होता है। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार इनके घोसलों के प्रकार दर्जन भर से ज्यादा हैं। अब इन सभी प्रकार के पक्षियों के घोसलों को बचाने के लिए पक्षी विशेषज्ञ, संरक्षक और शिक्षक दिनेश चंद्र कुकरेती कोशिशों में हुटे हुए हैं।
गढ़वाल क्षेत्र में पक्षियों के घोंसले बनाने की अलग-अलग विधि है। कौन पक्षी कहां और किस प्रकार से घोंसले बनाता है, एक अलग ही विधा है।
1-पेड़ों पर घोंसला बनाने वालों में भृंगराज, डिगडाल, मुटरी,भुजंगा, सतरंगा और हरी तूती पक्षी हैं। ये पक्षी पेड़ों के दोफकी तनों पर घोंसला बनाते हैं।
2-पेड़ों के ऊपरी भाग में घाेंसला बनाने वाले पक्षियों में राजलाल,बाज और चील शामिल हैं।
3-पेड़ों के तनों के सुराखों में घोंसला बनाने वाले पक्षियों में कठफोर, पहाड़ी मैना, नीलकंठ, धनेश, तोला, उल्लू, हारिल और सिफिया आते हैं।
4-पेड़ों की ठूंठ पर घाेंसला बनाने वालों में कठगोल नाम का पक्षी है।
5-पेड़ों और झाड़ियों के तनों में लटकाकर घोंसला बनाने वाले पक्षियों में बया, शकरखोरा, फुदकी, जबकी और फूलचूही है।
6-पेड़ों की पत्तियों को मोड़कर या सीलकर घोंसला बनाने वाले पक्षियों में दरजिन फुदकी प्रमुख है।
7-झाड़ियों और छोटे पेड़ों में घोंसला बनाने वाले पक्षियों में चिलचिल, सतबहनी चरखी, चरखी, बुलबुल, निलकंठी, काजला लहटोरा, मुनिया, महोख और फाख्ता आदि शामिल हैं।
8-खुली जमीन में घोंसला बनाने वाले पक्षियों में टिटिहरी, तीतर और चकोर आते हैं।
9-जमीन के ऊपर झाड़ या झाड़ी के जड़ों में अथवा घास के बीच घाेंसला बनाने वाले पक्षियों में चकोत्री,पिद्दा, पुली, भरत, घुघ्घू, मोर और असकोल प्रमुख हैं।
10-पत्थरों के दराजों या उनकी ओट में खंजन, चुलिया और सवां पक्षी अपना निवास बनाता है।
11-दूसरों के घोंसलों में रहने वाले पक्षियों में कोयल, चातक, पपीहा और वन कोकिल शामिल हैं।
12-मिट्टी के घोंसलों में रहने वाले पक्षियों में अबाबील आदि हैं।
13-चट्टानों या मिट़्टी के टीले, भीटे के सुराखों में घोंसला बनाने वालों में किलकिला, कौडिल्ला और पतेला आदि शामिल हैं।
14-इमारतों, दीवारों, चट्टानों पर घाेंसला बनाने वाले पक्षियों में दहगल, दुमा, श्यामा चिरी, पबई, और हुदहुद आती है।
15-घर आंगन में घाेंसला बनाने वाले पक्षियों में गौरैया का नाम प्रमुख रूप से आता है।
विश्व पक्षी दिवस पर एक मुलाकात में कुकरेती ने बताया कि गढ़वाल क्षेत्र में पक्षियों को बचाना एक बड़ी जिम्मेदारी है। क्योंकि ये सबसे निरीह और असुरक्षित जीव हैं। जहां पर इनके घोंसले हैं आज उन पर संकट है। विश्व पक्षी दिवस पर हम सभी को संकल्प लेना है कि पक्षियों की दुनिया को बचाना है। अगर पक्षियों का घर बचेगा तो उनकी पीढ़ी भी आगे बढ़ सकेगी। इससे पर्यावरण संरक्षण और संतुलन दोनों ही बना रहेगा।