रीड की हड्डी पाठ के आधार पर उमा की मां प्रेमा किस समाज का प्रतिनिधित्व कर रही थी?
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¿ रीड की हड्डी पाठ के आधार पर उमा की माँ प्रेमा किस समाज का प्रतिनिधित्व कर रही थी ?
✎... ‘रीढ़ की हड्डी’ पाठ में उमा की माँ प्रेमा उस समाज का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें स्त्रियों पिछड़ी दशा के लिए स्त्री भी जिम्मेदार हैं। जहाँ पर स्त्रियां स्वयं को हीन मानती हैं और आगे बढ़ने के विषय में नहीं सोचती। स्त्रियों की उन्नति का ख्याल उनके मन में नहीं आता और वह केवल पुराने पुरुषों की छत्रछाया के अंदर ही जीना चाहती हैं। उसे उमा की माँ प्रेमा को अपनी बेटी उमा का ज्यादा पढ़ना लिखना नहीं सुहाता था। उसकी दृष्टि में तो लड़की ने केवल अ, ई जैसे अक्षर पढ़ लिये तो इतनी पढ़ाई ही उसके लिए काफी है। बीए, एमए जैसी उच्च शिक्षा की लड़की के लिए जरूरत नहीं, यह प्रेमा की स्त्रियों के प्रति संकुचित सोच दर्शाती है।
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