Music, asked by ombir1200, 11 months ago

राग काफी सम्पूर्ण परिचय ।

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Answered by misha48
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what is your question........
Answered by Anonymous
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संगीत शास्त्र परिचय

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राग काफी

स्वर लिपि

स्वर गंधार व निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर।

जाति सम्पूर्ण - सम्पूर्ण

थाट काफी

वादी/संवादी पंचम/षड्ज

समय रात्री का द्वितीय प्रहर

विश्रांति स्थान सा प - सा' प रे

मुख्य अंग ग१ रे ; म प ; म प ध प ; ध नि१ सा' ; नि१ ध प;

आरोह-अवरोह सा रे ग१ म प ध नि१ सा' - सा' नि१ ध प म ग१ रे सा;

विशेष - राग काफी रात्रि के समय की भैरवी है। इस राग में पंचम बहुत खुला हुआ लगता है। राग को सजाने में कभी कभी आरोह में गंधार को वर्ज्य करते हैं जैसे - रे म प ध नि१ ध प म प ग१ रे। इस राग कि सुंदरता को बढाने के लिये कभी कभी गायक इसके आरोह में शुद्ध गंधार व निषाद का प्रयोग करते हैं, तब इसे मिश्र काफी कहा जाता है। वैसे ही इसमें कोमल धैवत का प्रयोग होने पर इसे सिन्ध काफी कहते हैं। सा रे ग१ म प ग१ रे - यह स्वर समूह राग वाचक है इस राग का विस्तार मध्य तथा तार सप्तक में सहजता से किया जाता है।

इस राग का वातावरण उत्तान और विप्रलंभ श्रंगार से ओतप्रोत है और प्रक्रुति चंचल होने के कारण भावना प्रधान व रसयुक्त ठुमरी और होली इस राग में गाई जाती है। यह स्वर संगतियाँ राग काफी का रूप दर्शाती हैं -

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