'रुग्ण-भूमिका' की अवधारणा किसने प्रस्तुत
की है?
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प्रस्थिति एवं भूमिका का विवेचन सर्वप्रथम रॉल्फ लिण्टन (Ralph Linton) ने अपनी पुस्तक दी स्टडी ऑफ मैन (1936) (The Study of Man) में किया| उनके अनुसार समाज का कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसे कोई प्रस्थिति न प्राप्त हो| समाजशास्त्रीय तथ्य इतना ही है कि उसकी प्रस्थिति निम्न या उच्च, प्रदत्त या अर्जित हो सकती है|
व्यक्ति जब अपनी क्रियाओं का संपादन समाज या समूह के प्रतिमानों के अनुरूप करता है तो इन क्रियाओं को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त हो जाती है| सामाजिक स्वीकृति प्राप्त होते ही व्यक्ति की क्रियाएं भूमिका में बदल जाती है|
व्यक्ति की अनेक भूमिकाएं होती हैं| ये आपस में मिलकर एकीकृत होकर एक समुच्य का निर्माण करती हैं, जिसे प्रस्थिति कहते हैं, जैसे – शिक्षक एक प्रस्थिति है एवं इससे जुड़ी कुछ भूमिकाएं, जैसे बच्चों को पढ़ाना, विषय विभाग संबंधी भूमिकाएं, शिक्षक होने के नाते कॉलेज से जुड़ी भूमिकाएं आदि| शिक्षक की प्रस्थिति से जुड़ी इन भूमिकाओं को मर्टन (Merton) भूमिका पुंज (Role-set) कहते हैं|
रॉल्फ लिण्टन (Ralph Linton) के अनुसार सामाजिक व्यवस्था के अंतर्गत किसी व्यक्ति को एक समय विशेष में जो स्थान प्राप्त होता है, उसी को उस व्यक्ति की सामाजिक प्रस्थिति कहते हैं|...