रोगाणु से आप क्या समझते हैं?
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रोगाणु (या रोगजनक, जैसा उन्हें कभी-कभी कहा जाता है) सूक्ष्म जीव होते हैं जो यदि हमारे शरीर में दाखिल हो जाएं तो बीमारी और संक्रमण पैदा कर सकते हैं।
सबसे साधारण प्रकार हैं:
बैक्टिरिया (जैसे साल्मोनेला जो भोजन की विषाक्तता पैदा कर सकता है)
विषाणु (जैसे राइनोवायरस जो आम सर्दी का कारण बनता है)
कवक (जैसे ट्रिकोफाइटोन जो एथलीट फुट का कारण बन सकता है)
परजीवी (जैसे जियारिडिया इंटेस्टिनालिस जो दस्त का कारण बन सकता है)
रोगाणु कैसे फैलते हैं?
आपके घर में जहां भी गर्मी और नमी है वहीं रोगाणु और कवक पनप सकते हैं। परंतु विषाणु अलग होते हैं। रोगाणु से आकार में सौ गुना तक छोटे विषाणु को बढ़ने के लिए एक जीवित पोषक के भीतर रहने की जरूरत होती है। इसी प्रक्रिया से वे बीमारी का कारण बनते हैं।
रोगाणु लोगों के हाथों, आमतौर पर संक्रमित लोगों या सतह को छूने से घर में चारों ओर फैल सकता है। रोगाणु हवा में छोटे धूल कणों पर या हमारे मुंह और नाक से खांसी, छींक या बातचीत के दौरान निकली पानी की बूंदों पर यात्रा कर सकते हैं।
घर में रोगाणुओं के साधारण स्रोत हैं:
संक्रमित भोजन और पानी।
नियमित रूप से छुई जाने वाली सतहें जैसे दरवाजे के हत्थे, नल, टेलीविजन के रिमोट और टेलीफोन।
सफाई और कचरे के क्षेत्र जैसे कूड़ादान, हौदी और शौचालय।
घरेलू कचरा जैसे उपयोग किया या खराब भोजन, इस्तेमाल हुआ रुमाल और गंदे लंगोट।
सफाई की वस्तु जैसे सफाई के कपड़े, स्पंज और गंदे टूथब्रश।
पालतू और दूसरे जानवर जैसे चूहे और मक्खियां।
अन्य लोग।
रोगाणु शरीर में कैसे प्रवेश करते हैं?
कई ऐसे तरीके हैं जिससे रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
वे दूषित भोजन के साथ खाए जा सकते हैं।
नाक और मुंह के माध्यम से सांस लेते समय हवा में मौजूद रोगाणु फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं।
त्वचा पर मौजूद रोगाणु अनुपचारित चोट या घाव के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं।
वे इंजेक्शन, शल्य चिकित्सा अथवा जानवर या कीड़े के काटने से हमारे रक्तप्रवाह में दाखिल हो सकते हैं।
अंतत: हमारे शरीर के तरल पदार्थों में मौजूद कुछ विशिष्ट रोगाणुओं को हम शारीरिक संपर्क के माध्यम से दूसरों को पारित कर सकते हैं।
Answer:
Explanation:
एक रोगाणु को एक जीव के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो मेजबान जीव के कोशिका, ऊतकों और अंगों पर आक्रमण करता है। मेजबान जीवों के शरीर में रोगाणु के उपनिवेशण से मेजबान के शरीर में बीमारियों का विकास होता है। इस तरह के रोग प्रकृति में संचारी या गैर-संचारी हो सकते हैं।