Hindi, asked by ramgude1345, 11 days ago


रोग और संसद कविता मे मौन कौन रखता
है​

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Answered by krishnkripa367
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Answer:

अर्थात् संसद (राजनीति) से जुडे प्रत्येक व्यक्ति का मूलमंत्र 'हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे' वाला बन चुका है. चुपचाप तुम भी खाओ और मैं भी खाता हूं का धर्म बडी ईमानदारी से निभाया जा रहा है. यह व्यवस्था चूहों के समान आम आदमी के सपनों को कुतर-कुतर खा रही है. धूमिल की कविताओं में ऐसी स्थितियों के विरोध में आक्रोश है.

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