रोग और संसद कविता मे मौन कौन रखता
है
Answers
Answered by
2
Answer:
अर्थात् संसद (राजनीति) से जुडे प्रत्येक व्यक्ति का मूलमंत्र 'हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे' वाला बन चुका है. चुपचाप तुम भी खाओ और मैं भी खाता हूं का धर्म बडी ईमानदारी से निभाया जा रहा है. यह व्यवस्था चूहों के समान आम आदमी के सपनों को कुतर-कुतर खा रही है. धूमिल की कविताओं में ऐसी स्थितियों के विरोध में आक्रोश है.
Similar questions
Environmental Sciences,
5 days ago
Environmental Sciences,
5 days ago
Math,
5 days ago
Math,
11 days ago
Accountancy,
7 months ago
Hindi,
7 months ago