राग दरबारी उपन्यास की उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से समीक्षा कीजिए
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रागदरबारी विख्यात हिन्दी साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल की प्रसिद्ध व्यंग्य रचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह ऐसा उपन्यास है जो गाँव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता से अनावृत करता है। शुरू से अन्त तक इतने निस्संग और सोद्देश्य व्यंग्य के साथ लिखा गया हिंदी का शायद यह पहला वृहत् उपन्यास है।
राग दरबारी उपन्यास की उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से समीक्षा
राग दरबारी उपन्यास श्रीलाल शुक्ल द्वारा लिखी गई है| राग दरबारी उपन्यास के लिए सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था| उपन्यास में गाँव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता का वर्णन किया है| लेखक ने स्वतंत्र भारत के गांव की बदलती तस्वीर बिल्कुल सच्चाई के साथ दिखाई है।
रागदरबारी उपन्यास में लेखक ने वर्तमान व्यवस्था की अव्यवस्था में समाज की का वर्णन करते हुए समाज की दशा के बारे में बताया है| राग दरबारी उपन्यास हमारे आजाद भारत की नई-नई प्रगति और व्यवस्थाओं के बारे में बताया है| सब कुछ अब नारों और दिखावे में रह गया | असलियत में कुछ नहीं है|
राग दरबारी उपन्यास हमारे आजाद भारत की नवीन व्यवस्थाओं पर करारा व्यंग करता है जो केवल नारों के रूप में ही जीवित रह गई हैं, वास्तविकता के धरातल पर उनका कोई अस्तित्व नहीं है। सामाजिक जीवन की टूटते हुए मूल्यों के दिखावे का वर्णन किया है| आज कल रिश्ते दिखावे के होते है सब अपना स्वार्थ देखते है|