रांगेय राघव की कहानी गदल का सारांश
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गदल कहानी में ग्राम जीवन का चित्रण है I गदल अपने पति गुन्ना की मृत्यु के बाद खारी गुजर जाति की होते हुए भी अपने से कम उम्र के लौहारे गुजर मौनी से व्याह करके उस के घर जा बैठती है I इससे खारी गुजर जाति मे कोलाहल मच जाता हैI बेटों – बहुओं वाली गदल के इस कार्य से उसके परिवार वालों की बड़ी बदनामी होती है।
जिस दिन गदल मौनी के घर जा बैठी उसी दिन संध्या समय उसके बेटे निहाल और नारायण मिलकर उसे जबरदस्ती पकड़कर घर ले आते हैंI उस समय डोडी निहाल और परिवार के बहुओं के बीच कहा सुनी होती है I अगली सुबह गदल पुनः अपने नये पति मौनी के घर चली जाती हैI
'गदल' गूजरों में यह रूढ़ि परम्परा रही है की यदि बड़े भाई की मृत्यु होती है तो उसकी पत्नी के साथ उसका पुनः विवाह रचाया जा सकता है I देवर - भाभी के बीच इस प्रकार की स्थिति में किया गया ब्याह समाज सम्मत है I गदल के पति गुन्ना की मृत्यु के बाद उसका देवर डोडी उससे पुनर्विवाह कर अपने घर में रख सकता था I किन्तु लोकलाज के कारण डोडी ने गदल को पत्नी के रूप में स्वीकारा नहीं किया I डोडी की पत्नी बहुत पहले ही गुजर चुकि थी उसके बच्चे भी नहीं रहे। भाई गुन्ना की मृत्यु के बाद डोडी ने ही उसके तीनों बेटों व बेटियों को पाला था। बेटे - बेटियों की शादियाँ हो चुकि थीं उनके बच्चे हो चुके थे इतने बड़े परिवार को छोड़ कर गदल लौहारे मौनी से ब्याह करके उसके घर जा बैठी थीI
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गदल की कहानी ग्रामीण जीवन को दर्शाती है। पति गुन्ना की मृत्यु के बाद गदल खारी गूजर जाति का होने के बावजूद अपनी कम उम्र लोहारे गूजर मौनी से शादी कर अपने घर चली जाती है। गदल के बेटे और बहू होने के इस कृत्य से उसके परिवार के सदस्यों की बड़ी बदनामी होती है।
Explanation:
गदल कहानी का केंद्रीय तत्व प्रेम है, जो कहानी में आत्म-पीड़ा, समर्पण और बलिदान की परिचित रणनीति के साथ विकसित होता है। लेकिन इस प्यार का रंग 'उन्होंने कहा' और 'आकाशदीप' जैसी कहानियों से बिल्कुल अलग है। यह प्रेम के उपरोक्त तीनों लक्षणों में एक विशेष लफ्फाजी के साथ होने का अहसास कराता है। गदल कहानी में गदल-डोडी प्रेम की मुख्य कहानी के साथ-साथ एक गौण कहानी भी है - बंधुत्व भोज, जो मुख्य कहानी के प्रभाव को भी गाढ़ा करता है और कहानीकार की चरित्र विशेषताओं को उसकी ताकत और कमजोरियों के साथ उजागर करता है।
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