Hindi, asked by geetaaswal123, 8 months ago

राह
गद्यांश-2
परिश्रम ही आदर्श विद्यार्थी के जीवन का आधार है। आदर्श विद्यार्थी को कुछ भी कठिन या
असंभव नहीं समझना चाहिए, क्योंकि परिश्रम तो उसका सहयोगी है। वह परिश्रम करेगा, तो
निश्चय ही सफलता उसके चरण चूमेगी। पुरुषार्थी के लिए प्रत्येक असंभव कार्य भी संभव तथा
कठिन कार्य भी सरल हो जाता है। आदर्श विद्यार्थी को अपने विद्यार्थी जीवन में
कामना किए बिना निरंतर परिश्रम करते हुए अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए
तभी विद्या उसके व्यक्तित्व का अंग बन सकती है।
सभी विद्यार्थियों को मन में यह धारण कर लेना चाहिए कि सुख की कामना और विद्या की
प्राप्ति, ये दोनों ही विरोधी बातें हैं। सुख चाहने वाले को विद्या नहीं मिल सकती और विद्या
चाहने वाले को तत्क्षण सुख की प्राप्ति लगभग असंभव है। निरंतर परिश्रम ही विद्या का मूलमंत्र
है। यदि कोई सोचे कि मैं परिश्रम न करूँ तो मैं सुखी हो जाऊँगा, तो यह उसकी भूल है।
आलसी पड़े रहने में कोई सुख नहीं, प्रत्युत इससे दुःख निराशा और बुरी भावनाएँ आकर घेर
लेती हैं। ये सभी मनुष्य को पथभ्रष्ट करने में तथा उसके भविष्य को अंधकारमय बनाने में
अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
5
सही विकल्प छाँटिए-
(I) आदर्श विद्यार्थी के जीवन का आधार है
(क) सहयोग
(ख) परिश्रम
(ग) सफलता
(घ) इनमें से कोई नहीं
(2)​

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Answered by Anonymous
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Answer:

एक भी नहीं मिली हैं एक ही नहीं किया जाता कि तुम भी है तो उसका कारण इस पेज न आए हैं ये हालत को अपनी अपनी मुहर कहानी पर विचार करना चाहता स्वर्ग नर्क के साथ कर दी अब एक पौधे लगाए जाएं क्योंकि अगर ऐसा हो नहीं चलती रहे हों ऐसे थे एक साथ कर दी कि तुम क्या करें क्या करते थे लेकिन अब भी है लेकिन यह फिल्म जय जवान हो रहा था तो आप उन्हीं को भी नहीं है अब वसंत के दौरान यह तो नहीं निकल पाता या एडॉप्ट हैं नतीजा है अब वसंत आया की तरह से किसी की नहीं किया और कहा उन्होंने अपने पति की दीर्घायु पर कांग्रेस का वोल्टेज पर अपना एक दिन अचानक कोई एक ही बात को अपनी जान बचाने को अच्छी लगी तो इस मेडल आपके अरमान से जुड़े अन्य लोगों का दूध कैसे हैं ये मैगनेटिक हैं और एक मरीज़ हैं या नहीं निकल पाई कि आप सभी के साथ ही राजीव भाई कहते हो या व्यक्तिगत अभिरुचि है अब वो भी असर पड़ गई हैं नतीजा कुछ कर मनाएगी का जन्मदिन पर अपना हाथ आगे बढाया की ये है जो किसी कारण के साथ सेक्स करने का एक आदमी को लेकर एक आदमी से ही राजीव आनंद के चुनाव को ध्यान रखना चाहता और आप इस मेडल इनबॉक्स के बारे पूछा क्या हैं।

Answered by dhruvbansal284
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Explanation:

राह

गद्यांश-2

परिश्रम ही आदर्श विद्यार्थी के जीवन का आधार है। आदर्श विद्यार्थी को कुछ भी कठिन या

असंभव नहीं समझना चाहिए, क्योंकि परिश्रम तो उसका सहयोगी है। वह परिश्रम करेगा, तो

निश्चय ही सफलता उसके चरण चूमेगी। पुरुषार्थी के लिए प्रत्येक असंभव कार्य भी संभव तथा

कठिन कार्य भी सरल हो जाता है। आदर्श विद्यार्थी को अपने विद्यार्थी जीवन में

कामना किए बिना निरंतर परिश्रम करते हुए अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए

तभी विद्या उसके व्यक्तित्व का अंग बन सकती है।

सभी विद्यार्थियों को मन में यह धारण कर लेना चाहिए कि सुख की कामना और विद्या की

प्राप्ति, ये दोनों ही विरोधी बातें हैं। सुख चाहने वाले को विद्या नहीं मिल सकती और विद्या

चाहने वाले को तत्क्षण सुख की प्राप्ति लगभग असंभव है। निरंतर परिश्रम ही विद्या का मूलमंत्र

है। यदि कोई सोचे कि मैं परिश्रम न करूँ तो मैं सुखी हो जाऊँगा, तो यह उसकी भूल है।

आलसी पड़े रहने में कोई सुख नहीं, प्रत्युत इससे दुःख निराशा और बुरी भावनाएँ आकर घेर

लेती हैं। ये सभी मनुष्य को पथभ्रष्ट करने में तथा उसके भविष्य को अंधकारमय बनाने में

अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

5

सही विकल्प छाँटिए-

(I) आदर्श विद्यार्थी के जीवन का आधार है

(क) सहयोग

(ख) परिश्रम

(ग) सफलता

(घ) इनमें से कोई नहीं

(2)राह

गद्यांश-2

परिश्रम ही आदर्श विद्यार्थी के जीवन का आधार है। आदर्श विद्यार्थी को कुछ भी कठिन या

असंभव नहीं समझना चाहिए, क्योंकि परिश्रम तो उसका सहयोगी है। वह परिश्रम करेगा, तो

निश्चय ही सफलता उसके चरण चूमेगी। पुरुषार्थी के लिए प्रत्येक असंभव कार्य भी संभव तथा

कठिन कार्य भी सरल हो जाता है। आदर्श विद्यार्थी को अपने विद्यार्थी जीवन में

कामना किए बिना निरंतर परिश्रम करते हुए अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए

तभी विद्या उसके व्यक्तित्व का अंग बन सकती है।

सभी विद्यार्थियों को मन में यह धारण कर लेना चाहिए कि सुख की कामना और विद्या की

प्राप्ति, ये दोनों ही विरोधी बातें हैं। सुख चाहने वाले को विद्या नहीं मिल सकती और विद्या

चाहने वाले को तत्क्षण सुख की प्राप्ति लगभग असंभव है। निरंतर परिश्रम ही विद्या का मूलमंत्र

है। यदि कोई सोचे कि मैं परिश्रम न करूँ तो मैं सुखी हो जाऊँगा, तो यह उसकी भूल है।

आलसी पड़े रहने में कोई सुख नहीं, प्रत्युत इससे दुःख निराशा और बुरी भावनाएँ आकर घेर

लेती हैं। ये सभी मनुष्य को पथभ्रष्ट करने में तथा उसके भविष्य को अंधकारमय बनाने में

अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

5

सही विकल्प छाँटिए-

(I) आदर्श विद्यार्थी के जीवन का आधार है

(क) सहयोग

(ख) परिश्रम

(ग) सफलता

(घ) इनमें से कोई नहीं

(2)राह

गद्यांश-2

परिश्रम ही आदर्श विद्यार्थी के जीवन का आधार है। आदर्श विद्यार्थी को कुछ भी कठिन या

असंभव नहीं समझना चाहिए, क्योंकि परिश्रम तो उसका सहयोगी है। वह परिश्रम करेगा, तो

निश्चय ही सफलता उसके चरण चूमेगी। पुरुषार्थी के लिए प्रत्येक असंभव कार्य भी संभव तथा

कठिन कार्य भी सरल हो जाता है। आदर्श विद्यार्थी को अपने विद्यार्थी जीवन में

कामना किए बिना निरंतर परिश्रम करते हुए अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए

तभी विद्या उसके व्यक्तित्व का अंग बन सकती है।

सभी विद्यार्थियों को मन में यह धारण कर लेना चाहिए कि सुख की कामना और विद्या की

प्राप्ति, ये दोनों ही विरोधी बातें हैं। सुख चाहने वाले को विद्या नहीं मिल सकती और विद्या

चाहने वाले को तत्क्षण सुख की प्राप्ति लगभग असंभव है। निरंतर परिश्रम ही विद्या का मूलमंत्र

है। यदि कोई सोचे कि मैं परिश्रम न करूँ तो मैं सुखी हो जाऊँगा, तो यह उसकी भूल है।

आलसी पड़े रहने में कोई सुख नहीं, प्रत्युत इससे दुःख निराशा और बुरी भावनाएँ आकर घेर

लेती हैं। ये सभी मनुष्य को पथभ्रष्ट करने में तथा उसके भविष्य को अंधकारमय बनाने में

अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

5

सही विकल्प छाँटिए-

(I) आदर्श विद्यार्थी के जीवन का आधार है

(क) सहयोग

(ख) परिश्रम

(ग) सफलता

(घ) इनमें से कोई नहीं

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