राहु मछली पर comment likhiye
Answers
Answer:
यह एक मुख्य भारतीय कार्प है, जो कि दक्षिणी एशिया में पायी जाती है और बहुत महत्तवपूर्ण है। यह Cyprinidae परिवार से संबंधित है। इसे रूइ, रूई या तापरा के रूप में भी जाना जाता है। इसका सिर छोटा, तीखा मुंह और निचला होंठ झालर की तरह होता है। शरीर का आकार लंबा और गोल, रंग भूरा सलेटी और लगभग लाल रंग के चाने होते हैं। पंखों और सिर को छोड़कर इसका पूरा शरीर स्केल से ढका होता है। रोहू के शरीर पर कुल 7 पंख मौजूद होते हैं। इसकी लंबाई ज्यादा से ज्यादा 1 मीटर होती है। यह आमतौर पर पानी के गले- सड़े नदीन, बचे- खुचे पदार्थ आदि खाती है। मॉनसून के मौसम के दौरान रोहू मछली वर्ष में एक बार अंडे देती है। यह मछली अपने स्वाद और उच्च मार्किट मांग के कारण सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। इस प्रजाति को मछली पालन में उपयोग किया जाता है। यह ज्यादातर ताजे पानी के तालाब, खाइयों, नहरों, नदियों, झीलों आदि में पायी जाती है। यह मरीगल और कतला मछलियों के साथ समान अनुपात में पाली जाती है। इस मछली का प्रतिवर्ष औसतन 0.08 मिलियन प्रति एकड़ उत्पादन होता है। यह मछली अपने शरीर के प्रति किलो भार के अनुसार 2.0-2.5 लाख अंडे देती है। मछली का भार तालाब, पानी की स्थिति, गहराई, मंडीकरण के समय मछली का आकार, फीड की प्रकार आदि जैसे कारकों की संख्या पर निर्भर करता है। फरवरी— मार्च के महीने में मछली को पानी में छोड़ते समय यदि उसका आकार 2½-3 इंच है तो दिसंबर महीने तक उनका भार लगभग 1 किलो तक हो जाता है। यदि 10000 मछलियां संग्रहित होती हैं तो रोहू मछली की वसूली लगभग 6000 होती है।