राहा र पुनिए
(1)
पास-पड़ोस की दुकानो से पूछने पर चला कि उसका तेईस साल का जवान लड़का था। घर में
उसकी
बहू और पोता और पोती हैं। लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन में कछियारी करके
परिवार का निर्वाह करता था। खरबूजों की डलिया बाजार में पहुंचाकर कभी लड़का स्वयं सौदे के
पास बैठ जाता, कभी माँ बैद जाती।
लड़का परसों सुबह मुँह-अँधेरे बेलों में से पके खरबूजे चुन रहा था। गीली मेढ़ की तरावट में
विश्राम करते हुए साँप पर लड़के का पैर पड़ गया साँप ने लड़के को डॅस लिया।
लड़के की बूढी माँ बावली होकर ओझा को बुला लाई। झाड़-फूंक शुरू हुई। नागदेव की पूजा हुई
पूजा के लिए दान-दक्षिणा में घर का सारा सामान उठ गया। माँ बहू और बच्चे भगवाना से
लिपट कर रो रहे थे, पर भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला, सर्प के विष से उसका
सारा बदन काला पड़ गया था।
(क) प्रस्तुत गद्यांश के लेखक का नाम क्या है।
(1) प्रेमपाल
(2) यशपाल (3) शिशुपाल (4) समपाल
(ख) मृत लड़का क्या काम करता था।
(1) नौकरी करता था (2) व्यापार करता था (3) कछवारी करता था (4) मैकेनिक था
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