रोहन के पिता के अनुसार इंटरनेट के उपयोग से इंसान में क्या बदलाव होताहे ?
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15 वर्षीय शिवांगी का स्कूल परफॉर्मेंस लगातार घट रहा था। अभिभावकों की शिकायत थी कि अधिकांश समय फेसबुक पर बिताने के कारण परीक्षाओं में उसके अंक कम होते जा रहे थे। रोहन का मामला भी मिलता-जुलता था। वह रात में घंटों अपने स्मार्टफोन से दोस्तों से बातें करता था और सुबह उठते ही पहला काम होता था मोबाइल के संदेश चेक करना। अगर कहीं वाई-फाई या नेटवर्क साथ नहीं देता, तो वह बेचैन हो जाता। अभिभावकों ने डॉक्टरों से सलाह ली। पता चला कि रोहन इंटरनेट एडिक्शन का शिकार है, जिससे उसमें चिड़चिड़ापन बढ़ रहा।
बच्चों एवं किशोरों में साइबर एडिक्शन यानी इंटरनेट और सोशल मीडिया की इस लत को कम करने के लिए ही देश में इंटरनेट डी-एडिक्शन सेंटर्स की जरूरत महसूस की गई। करीब दो साल पहले बेंगलुरु में पहला सेंटर खोला गया, जिसका काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला। हाल ही में दिल्ली के एम्स में भी साइबर एडिक्ट क्लीनिक की शुरुआत हुई है। दरअसल, आज देश ही नहीं, दुनिया भर में इंटरनेट की लत एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। खासकर बच्चे-किशोर इसकी गिरफ्त में सबसे ज्यादा हैं। किशोरों सहित कोई भी व्यक्ति इंटरनेट और सोशल मीडिया की इस लत से खुद को कैसे बचा सकता है, आइए जानते हैं...
जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल