Social Sciences, asked by enterprisesunique77, 9 months ago

राइट अ पैराग्राफ ऑन नेचर हैलर​

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Answered by preeti6891gupta
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English :

We instinctively know that spending time in nature is great for both the body and mind, but now a growing body of research suggests that it can benefit our mental health.

According to researchers, a lack of exposure to natural surroundings may be one of the causes behind many modern ills; including depressive symptoms and anxiety attacks.

One study from The University of Exeter Medical School in England looked at the mental health data of 10,000 city dwellers and used mapping to track where the subjects had lived over the past 18 years. The findings suggested that people living near urban green space reported less mental distress. A second study from 2009, found a lower incidence of 15 diseases, including depression, anxiety, heart disease, diabetes, asthma, and migraines in people who lived within a half mile of green space.

Another study compared a 50-minute walk in a city environment to a nature walk. A nature walk decreased the activity in an area of the brain linked to the risk of mental illness. Nature walks have also been found to reduce rumination – the negative thoughts that people return to over and over, which will be familiar to anyone suffering from anxiety.

With this knowledge, doctors are increasingly prescribing trips to the park for a range of conditions, including anxiety, depression and stress. In some countries, “exposure to nature” is a core component of therapy and it’s even spawning new fields like ecopsychology.

Hindi :

धरती पर जीवन जीने के लिये भगवान से हमें बहुमूल्य और कीमती उपहार के रुप में प्रकृति मिली है। दैनिक जीवन के लिये उपलब्ध सभी संसाधनों के द्वारा प्रकृति हमारे जीवन को आसान बना देती है। एक माँ की तरह हमारा लालन-पालन, मदद, और ध्यान देने के लिये हमें अपने प्रकृति का धन्यवाद करना चाहिये।

अगर हम सुबह के समय शांति से बगीचे में बैठे तो हम प्रकृति की मीठी आवाज और खूबसूरती का आनन्द ले सकते है। हमारी कुदरत ढ़ेर सारी प्राकृतिक सुंदरता से सुशोभित है जिसका हम किसी भी समय रस ले सकते है। पृथ्वी के पास भौगोलिक सुंदरता है और इसे स्वर्ग या शहरों का बगीचा भी कहा जाता है। लेकिन ये दुख की बात है कि भगवान के द्वारा इंसानों को दिये गये इस सुंदर उपहार में बढ़ती तकनीकी उन्नति और मानव जाति के अज्ञानता की वजह से लगातार ह्रास हो रहा है।

प्रकृति

प्रकृति हमारी वास्तविक माँ की तरह की होती है जो हमें कभी नुकसान नहीं पहुँचाती बल्कि हमारा पालन-पोषण करती है। सुबह जल्दी प्रकृति के गोद में ठहलने से हम स्वस्थ और मजबूत बनते है साथ ही ये हमें कई सारी घातक बीमारीयों जैसे डायबिटिज, स्थायी हृदय घात, उच्च रक्त चाप, लीवर संबंधी परेशानी, पाचन संबंधी समस्या, संक्रमण, दिमागी समस्याओं आदि से भी दूर रखता है।

ये हमारे स्वास्थ्य के लिये अच्छा है कि हम चिड़ियों की मधुर आवाज, मंद हवा की खनखनाहट, ताजी हवा की सनसाहट, बहती नदी की आवाज आदि सुबह - सुबह सुनें। ज्यादातर कवि, लेखक और लोगों को अपने दिमाग, शरीर, और आत्मा को दुबारा से ऊर्जायुक्त बनाने के लिये उद्यानों में योगा और ध्यान करते देखा जा सकता है।

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