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जन्म नेहरू खानदान में हुआ था। वह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इकलौती पुत्री थीं। आज इंदिरा गांधी को सिर्फ इस कारण नहीं जाना जाता कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं बल्कि इंदिरा गांधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'विश्व राजनीति' के इतिहास में हमेशा जानी जाती
इंदिरा गांधी को बचपन में भी एक स्थिर पारिवारिक जीवन का अनुभव नहीं मिल पाया था। इसकी वजह यह थी कि 1936 में 18 वर्ष की उम्र में ही उनकी मां कमला नेहरू का तपेदिक के कारण एक लंबे संघर्ष के बाद निधन हो गया था और पिता हमेशा स्वतंत्रता आंदोलन में व्यस्त रहे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू शिक्षा का महत्व काफी अच्छी तरह समझते थे। यही कारण है कि उन्होंने पुत्री इंदिरा की प्राथमिक शिक्षा का प्रबंध घर पर ही कर दिया था। बाद में एक स्कूल में उनका दाखिला करवाया गया। 1934-35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद इंदिरा ने शांतिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर के बनाए गए 'विश्व-भारती विश्वविद्यालय' में प्रवेश लिया।
इसके बाद 1937 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। बचपन से ही इंदिरा गांधी को पत्र पत्रिकाएं तथा पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था जो स्कूल के दिनों में भी जारी रहा। इसका एक फायदा उन्हें यह मिला कि उनके सामान्य ज्ञान की जानकारी सिर्फ किताबों तक ही सीमित नहीं रही बल्कि उन्हें देश दुनिया का भी काफी ज्ञान हो गया और वह अभिव्यक्ति की कला में निपुण हो गईं। विद्यालय द्वारा आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता में उनका कोई सानी नहीं था।
बावजूद इसके वह हमेशा ही एक औसत दर्जे की विद्यार्थी रहीं। अंग्रेजी के अतिरिक्त अन्य विषयों में वह कोई विशेष दक्षता नहीं प्राप्त कर सकीं। लेकिन अंग्रेजी भाषा पर उन्हें बहुत अच्छी पकड़ थी। इसकी वजह थी पिता पंडित नेहरू द्वारा उन्हें अंग्रेजी में लिखे गए लंबे-लंबे पत्र, चूंकि पंडित नेहरू अंग्रेजी भाषा के इतने अच्छे ज्ञाता थे कि लॉर्ड माउंटबेटन की अंग्रेजी भी उनके सामने फीकी लगती थी।
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