राजा के पास मोतिया किसने में जी में जी
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प्रो. ठाकरन के मुताबिक, सिकंदर और पोरस का युद्ध तिथि निर्धारण के लिहाज से अहम रहा है.
वो कहते हैं, ''सिकंदर के आक्रमण के बाद भारतीय इतिहास में सुनिश्चित तिथिकरण का सिलसिला स्पष्ट हो जाता है और दूसरी बात ये कि यह एक सीमावर्ती क्षेत्र था. सिकंदर को भारत में घुसने से पहले काफ़ी संघर्ष करना पड़ा और जन-धन की हानि उठानी पड़ी. सिकंदर विश्व विजय के लिए निकले थे, लेकिन ये आसान नहीं था.''
''सिकंदर को पता था कि पूर्व में भी काफ़ी राज्य हैं जिनका सामना करना पड़ेगा और सिकंदर की सेनाएं थक चुकी थीं, उनमें निराशा का भाव था. वो वापस लौटना चाहते थे, ये समस्या सिकंदर के लिए चिंता का विषय थी. वहीं पर एक तरह से सिकंदर के विजय अभियान पर ब्रेक लग गया और वो पूर्व के भारत की तरफ़ अपना सैनिक अभियान जारी नहीं रख पाए.''
वहीं, प्रो. दुबे पोरस और सिकंदर की लड़ाई को मामूली बताते हैं. वो कहते हैं, ''ये सब छोटी-छोटी घटनाएं हैं, इनको कोई अहमियत नहीं दी जानी चाहिए.''