राजा का स्वभाव कैसा था अपने शब्दों मे लिखी
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राजा ईमानदार और बुद्धिमान था | वे बहुत दयालू था | राजा को अपनी जनता को हमेशा सुखी रखणा था और हित ही चाहनेवाला था | लेकिन अज्ञानता के वशीभूत होकर दूसरे देश पर आक्रमण करने निकल पडा। राजेश ने राजा को सब सच्ची कहानी बता दी | राजा ने अपना निर्णय बदल डाला. अपनी सारी संपत्ति जनता की सेवा में खर्च करना आरंभ किया।
राजा रणजीत सिंह के के बारे में ऐसा माना जाता था कि वह जनता की नब्ज जानते हैं, आम आदमी का दुख-दर्द समझते हैं। रणजीत सिंह हमेशा जनता की तकलीफों को दूर करने के लिए व्याकुल भी रहते थे। एक बार की बात है। उनके दरबार में एक विदेशी व्यापारी आया। वह व्यापारी अपनी खूबसूरत सजावटी सामान के लिए सभी रजवाड़ों में प्रसिद्ध था। रणजीत सिंह के दरबार में भी उसे उतनी ही इज्जत मिली, जितनी सब जगह मिलती थी। रणजीत सिंह ने उसे अपने साथ लाया सामान दिखाने को कहा।
Answer:
राजा बहुत ही बुद्धिवान और पराक्रमी था और वह हमेशा अपनी जनता की खुशहाली चाहता था.
व्याख्या विस्तार अपने शब्दो में :
राजा ईमानदार और बुद्धिशाली था | वे स्वभाव से बहुत दयावान था | राजा अपनी प्रजाजन की हमेशा भलाई चाहता था और उनके हित में काम करता था |
लेकिन मूर्खता के कारण दूसरे देश पर आक्रमण करने चल दिया । राजेश ने राजा को सब सच्ची कहानी बता दी | राजा ने अपना निर्णय में परिवरर्तन किया.अपनी सारी संपत्ति जनता के काम में लगाना शुरू कर दिया।
मेरी जनता कम से कम में गुजर करती है,और उनका राजा कैसे ऐशो आराम कर सकता है . यह समझ लीजिए कि राजा के स्वभाव में सदैव जनता दिखनी चाहिए। जाइए और किसी अमीर राज्य में अपने कांच के टुकड़ों को बेचने का प्रचार प्रसार कीजिये यहाँ आपकी अभी जरूरत नहीं है।यहां अभी हमारा उद्देश्य और जरूरतें दूसरी हैं। वैसे ये बातें हर राज को अपने स्वाभाव में अपनानी चाहिए। हमारा स्वभाव ऐसा होना चाहिए जहाँ अंतिम व्यक्ति की जरूरतें दिखाई दे। कही हम अपने ऐशो आराम भरी जिंदगी जीने के चक्कर में जनता के दर्द न भूल जाए।
अर्थात राजा का स्वाभाव ऐसा था जो जनता के प्रति पूर्णरूप से समर्पित था।