Hindi, asked by ridhimasehrawat8, 3 months ago

राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से क्यों की? भ्रष्टाचार का स्वरूप कैसा है?​

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Answered by SILENTPHOENIX
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Answer:

राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से इसलिए कि क्योंकि राजा ने भ्रष्टाचार की के आने में लिए जो विशेष जाती के पांच लोगों को चूना था उन्होंने कहा कि महाराज भ्रष्टाचार तो स्थूल नहीं,सूक्ष्म है,अग्लचर है ,पर वह सर्वत्र व्याप्त है। यह सुनकर महाराज बोले कि यह गुण तो ईश्वर के है । भ्रष्टाचार स्थूल नहीं, सूक्ष्म है एवं अगोचर है।

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