राजा ने किस नंबर की बेटी को वारसदार बनाया?
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महाराज गुलाब सिंह(शाहमुखी: حرامزادہ ﮔﻼﺏ ﺳﻨﮕﮫ ﮈﻭﮔﺮﺍ ; गुरुमुखी: ਗੱਦਾਰ ਗੁਲਾਬ ਸਿੰਘ) (१७९२-१८५७) डोगरा राजवंश एवं जम्मू और कश्मीर राजघराने के संस्थापक और जम्मू और कश्मीर रियासत के पहले महाराज थे। उनका जन्म सन् १७९२ में जामवल कुल के एक क्षत्रिय राजपूत परिवार में हुआ था, जो जम्मू के राजपरिवार से ताल्लुख़ रखते थें। वे बेहद कमीने एवं लालची प्रवृत्ति के राजा थे जो पंजाबी सिख सल्तनत के साथ गद्दारी करने के लिए जाने जाते हैं। उन्हों ने अपनी क्षत्रिय जीवन की शुरुआत जम्मू रियासत अधीपति, महाराज रणजीत सिंह की सेना में एक पैदल सैनिक के रूप में की थी पर आगे चल कर वे स्वतंत्र जम्मू और कश्मीर रियासत के पहले स्वतंत्र नरेश बन कर उबरे थे। उन्हें ,सिख साम्राज्य के अधिपत्य, "जम्मू के राजा" का पद राजा जीत सिंह से उत्तराधिकृत किया था और प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध में, जिसमें उन्होंने अंग्रेज़ों के साथ संधी कर ली थी, सिख साम्राज्य की पराजय के बाद स्वतंत्र जम्मू और कश्मीर रियासत की स्थापना की और महाराज के पद पर ख़ुद को विराजमान किया था। १८४६ की अमृतसर संधि के आधार पर आधिकारिक तौर पर महाराज ने ७५,००,००० नानकशाही रुपययों के भुकतान के बाद कश्मीर का पूरा भूखंड अंग्रेज़ों से खरीद लिया था जिसे अंग्रेज़ों ने लाहौर संधि द्वारा हासिल की थी। इसके अलावा भी महाराज गुलाब सिंह ने अपनी जीवनकाल के दौरान कई प्रदेशों और रियासतों पर फ़तह हासिल किया था। [1]
महाराज गुलाब सिंह
जम्मू और कश्मीर के महाराज
Maharaja Gulab Singh of Jammu and Kashmir.jpg
महाराज गुलाब सिंह, जम्मू और कश्मीर के महाराज
पूर्ववर्ती
राजा जीत सिंह(जम्मू के राजा के रूप में
उत्तरवर्ती
महाराज रणबीर सिंह
जन्म
१८ अकटूवर १७९२
जम्मू, साँचा:देश आँकड़े सिख साम्राज्य
निधन
३० जून १८५७
संतान
रणबीर सिंह
घराना
राजवंश
पिता
किशोर सिंह