राजा और कँगले, विलासी और भिक्षु, नर
और नारी, मनुष्य और पशु सभी कलाकार के
हाथों सिरजते चले गये हैं । हैवान की हैवानी को
इन्सान की इन्सानियत से कैसे जीता जा सकता
है, कोई अजन्ता में जाकर देखे ।
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znanskrkjwnwnd ko kakansnnskdkfkfntnekkwkwndns
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