राजा रवि वर्मा की तैलीय का एक उदाहरण लिखिए और उसका वर्णन कीजिए।
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यद्यपि जनसाधारण में राजा रवि वर्मा की लोकप्रियता पौराणिक व देवी-देवताओं के चित्रों के कारण हुई पर वे तैल माध्यम में बनी अपनी प्रतिकृतियों के कारण सम्पूर्ण विश्व में सर्वोत्कृष्ट चित्रकार के रूप में जाने गए। ऐसा माना जाता है की तैलरंगों में उनके जैसी सजीव प्रतिकृतियाँ बनाने वाला आज तक कोई दूसरा कलाकार नहीं हुआ।
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राजा रवि वर्मा न होते तो हमारे देवी-देवता होते जरूर, पर कैसे होते कहना मुश्किल है
राजा रवि वर्मा न होते तो हमारे देवी-देवता होते जरूर, पर कैसे होते कहना मुश्किल हैपहली बार देवी-देवताओं को तस्वीरों में उकेरने वाले राजा रवि वर्मा ने भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के के जीवन में भी अहम भूमिका निभाई थीकहते हैं कि किसी भी शख्सियत का मूल्यांकन दुनिया को सौंपी उसकी विरासत से होता है. सामान्य से सामान्य जन को यदि लगे कि वह शख्स न होता तो उसका जीवन थोड़ा कम बेहतर होता तो ऐसा शख्स ही शख्सियत बन जाता है. राजा रवि वर्मा ऐसी ही शख्सियत थे. कहने को तो वे ‘राजा’ थे लेकिन उनके पास कोई राज्य न था. उनके नाम में जुड़ा यह शब्द एक उपाधि थी जो तत्कालीन वायसराय ने उनकी प्रतिभा का सम्मान करते हुए उन्हें दी थी.
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