रोज त्योहार मनाने के पीछे कवि का क्या आशय
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त्योहार का मतलब है जब हर तरफ खुशहाली हो। आदमी त्योहार तभी मना सकता है जब उसके पास भरपूर खुशियाँ हों। इसलिए इस कविता में रोज त्योहार मनाने की बात सर्वथा उचित है।
(ग) “सौ सौ स्वर्ग उतर आएँगे, सूरज सोना बरसाएँगे।
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रोज त्यौहार मनाने से कवि का आशय था कि रोज त्यौहार मनाने से हमारे घर परिवार में खुशियां एकत्रित होती रहती हैं और त्यौहार मनाने से घर को खुशियां प्रदान होती हैं
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